ज़िन्दगी मेरी चाहत की मोहताज़ है

सौरभ कुमार पटेल (संगीतकार)-


मैं तुझे शाम को रोज़ मिलता रहूँ,
तू मुझे शाम को रोज़ मिलती रहे।
ज़िन्दगी मेरी चाहत की मोहताज़ है,
तेरी चाहत मुझे रोज़ मिलती रहे।।

फूल खिलते रहें खुशबू आती रहे,
चाँदनी रात में चाँद मिलता रहे।
प्रेम की हर डगर प्रेम के हर नगर,
है जो सरिता हृदय में वो बहती रहे।।

दिन गुज़रते रहें,रातें कटतीं रहें,
तेरे पहलू में ही शामें होती रहें।
है तमन्ना यही ए मेरे हमसफ़र,
ज़ुल्फ़ें चेहरे पे मेरे बिखरती रहें।।

लब से झरने सी मुस्कान झरती रहे,
ये घटाएँ गगन में सँवरती रहें।
मन मयूरा यूँ ही नृत्य करता रहे,
तेरी चाहत की बरखा बरसती रहे।।

ख्याल मन में मधुर यूँ ही आते रहें,
अपनी बाहों में हमको झुलाते रहें।
मैं ये जानू नहीं है, मेरा प्यार तू,
काँच के सपने मन में सजाते रहें।।