चिर-प्रतीक्षित कृति का यह ‘दूसरा प्रूफ़’ है। हम अतिशीघ्र उपर्युक्त कृति को सार्वजनिक करेँगे। इसप्रकार की कोई कृति अभी तक उपलब्ध नहीँ है। हमने अपनी इस कृति का प्रणयन करते समय पूर्ण मनोयोग से ‘शब्ददर्शन’ किया है और ‘शब्दसंवाद’ भी, तदनन्तर ‘शब्दसंधान’ करने का साहस करते हुए, व्याकरण और भाषाविज्ञान की दृष्टि से अपना ‘हेतु’ सिद्ध किया है।
यह हमारी पाठशाला का ‘प्रथम भाग / खण्ड’ है, जो कि एक सौ साठ (१६०) पृष्ठोँ मे रहेगा। हम इसे क्रमश: न्यूनतम पाँच भागोँ मे प्रकाशित करेँगे, जिसकी तीन भाग की सामग्री मुद्रण-प्रक्रियान्तर्गत जुड़ने के लिए पूर्णत: प्रस्तुत है। हमारी इस व्याकरणिक पुस्तक का प्रत्येक भाग एक सौ साठ पृष्ठोँ का रहेगा।
हमारा विश्वास है कि यह अनन्य व्याकरणिक पुस्तक देश के प्रत्येक परिवार के लिए अपरिहार्य सिद्ध होगी। हम पुस्तक-प्रकाशन के अन्तिम चरण मे पुस्तक-मूल्य, उपलब्धता आदिक की घोषणा करेँगे।