जीवन का ज्ञान है ‘आयुर्वेद’

विजयाश्री आयुर्वेद कॉलेज मेडिकल क्षेत्र की सेवा मे सतत् प्रयत्नशील

स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणं आतुरस्य विकार प्रशमनं च।” (च० सू० 30/26)

स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा अर्थात् स्वास्थ्य को बनाये रखना तथा रोगी के रोग का प्रशमन करना आयुर्वेद-ज्ञान का प्रयोजन है।

भारत का आयुर्वेद हजारों वर्ष पुरानी और अति लोकप्रिय चिकित्सा पद्धति है। ‘आयुर्वेद’ संस्कृत भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘आयुः या जीवन’ और ‘वेद या ज्ञान’। दरअसल, जीवन का ज्ञान ही आयुर्वेद है जिसमें मानव की सभी शारीरिक और मानसिक बीमारियों से रक्षा की जाती है ताकि मनुष्य लंबी आयु तक स्वस्थ जीवन जी सके।

आयुर्वेद के इसी सिद्धांत पर पूर्णतया समर्पित भाव से कार्य कर रहा है मध्यप्रदेश के संस्कारधानी यानी जबलपुर में स्थापित एकमात्र निजी आयुर्वेद महाविद्यालय ‘विजयाश्री आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज & हॉस्पिटल’ जो विभिन्न पहलों के माध्यम से आयुर्वेद की दिशा में सतत विकास के लिए समर्पित है। 2017 में जब इसकी स्थापना हुई तब से संस्था के संस्थापक श्री राजेश स्थापक जी द्वारा निरंतर पूरी तन्मयता, तत्परता और तल्लीनता के साथ समाज को परिष्कृत करने के लिए आयुर्वेद चिकित्सा क्षेत्र, सामाजिक उपक्रम, शैक्षणिक संस्थानों की दिशा में नित नवीन कार्य किए जा रहे हैं।

‘विजयाश्री आयुर्वेद कॉलेज’ 10 एकड़ के विशालतम परिसर, प्रख्यात संकाय में अपने सुरुचिपूर्ण बुनियादी ढांचे के साथ तैयार सर्वसुविधा संपन्न मध्यप्रदेश का एकमात्र सबसे बेहतरीन और सर्वाधिक लोकप्रिय आयुर्वेद महाविद्यालय है। जहां वर्तमान में 700 से अधिक छात्र अध्ययनरत है। महाकौशल, बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र का एक मात्र ऐसा आर्युवेद कॉलेज है जो आधुनिक अध्ययन अध्यापन की दृष्टि से आवश्यक सभी सुविधाओं से पूर्णतया युक्त है और यहां शिक्षा के साथ-साथ समय-समय पर उच्च एवं अनुभवी मार्गदर्शकों द्वारा सेमिनार संचालित किए जाते है साथ ही यहां संस्कार और नीतिगत शिक्षा भी प्रदत्त की जाती है।

भारत सरकार द्वारा जितनी भी आयुर्वेद को लेकर योजनाएं क्रियान्वित यहां के सभी विद्यार्थियों पूर्णतया लाभान्वित होते है। साथ ही समय-समय पर नि:शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविरों का आयोजन, नि:शुल्क सुवर्ण प्राशन संस्कार समेत सभी चिकित्सकीय सुविधाएं प्रदान की जाती है।संस्था प्रमुख के लिए यह कॉलेज एक परिवार के अलावा और कुछ भी नहीं हैं। उनके लिए शिक्षा सिर्फ़ सेवा का जरिया मात्र है।

आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति ही क्यों :-

अधिकतर पूछा जाने वाला सवाल कि आपने आयुर्वेद ही क्यों चुना तब संस्था की प्रमुख सदस्या ओशी स्थापक जी का कहना है कि हमारे देश में आयुर्वेद से संबंधित सभी कोर्सेज आजकल औपचारिक मेडिकल एजुकेशन का प्रमुख हिस्सा बन चुके हैं। लेकिन आयुर्वेद की शुरुआत से ही भारत में इसकी शिक्षा अनौपचारिक तौर पर दी जाती रही है पूरी दुनिया में आयुर्वेद की मेडिसिन्स ने अपनी पहचान बना ली है क्योंकि आयुर्वेद मेडिसिन के साइड इफेक्ट्स तो नहीं होते और आयुर्वेद द्वारा लाईलाज बीमारियों का ईलाज भी हो सकता है।

‘विजया श्री आयुर्वेद महाविद्यालय’ के कुछ उद्देश्य जिस पर संस्था प्रमुख श्री राजेश स्थापक जी, श्रीमती मंजूलता स्थापक जी, संस्था सदस्य श्री अर्क स्थापक जी, ओशी स्थापक जी निरंतर कार्यरत है। जो क्रमश: इस प्रकार है–

• विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी सर्वश्रेष्ठ चिकित्सकों, शिक्षाविदों और सामाजिक रूप से जागरुक व्यक्तियों को विकसित करना।

• संस्था को आयुर्वेद चिकित्सा शिक्षा और अभ्यास के क्षेत्र में उत्कृष्ट केन्द्र बनाना, साथ ही सभी को व्यवस्थित, पूर्ण और समग्र उत्तम स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करना।

• दुनिया भर में उत्तम स्वास्थ्य और समृद्धि को विस्तारित करने के लिए आयुर्वेद के प्रामाणिक सिद्धान्तों का पालन करना।

• प्राचीन आयुर्वेद सभ्यता के विलुप्त चिकित्सा पद्धतियों का अन्वेषण करना।

• आयुर्वेद में वर्णित विभिन्न पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के ज्ञान का पता लगाना और उस पर शोध करना।

• वर्तमान में कार्यरत् चिकित्सा कार्यक्रमों को पाठ्यक्रम के अनुरूप समीक्षा और पुनः डिजाईन कर एकीकृत पद्धति के माध्यम से समाज की मांग को ध्यान में रखते हुए कैरियर उन्मुख और उत्तरदायी बनाना।

• प्रशिक्षण, परीक्षण और मूल्यांकन में प्रगति के माध्यम से हस्तक्षेपों को सफलतापूर्वक निष्पादित करना।

• नये अनुसंधान, अन्वेषण के साथ रहने के लिए आजीवन सीखने के महत्व को स्वीकार करना।

• विद्यार्थियों की नेतृत्व क्षमताओं में सुधार करना ताकि वे पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा में समाज की मांगों को पूर्ण करने के लिए पेशेवर बन सकें।

• आयुर्वेद चिकित्सा में साक्ष्य-आधारित सिद्धान्तों को लागू करने की क्षमता में सुधार के साथ-साथ प्राथमिक स्वास्थ्य परिचर्या का पालन करने की क्षमता विकसित करना।

• दिन-प्रतिदिन के अभ्यास पर नैदानिक अनुभव में ज्ञान का उपयोग करने में शिक्षार्थी को सहयोग प्रदान करना।

लेखन और संकलन : शिवांकित तिवारी