पीत पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों की पुलिस अधीक्षक, गोण्डा से शिकायत

मनकापुर। आज हम आपको एक ऐसी खबर के बारे में बताने वाले हैं। जिसको पढ़कर आप खुद दंग रह जाएंगे कि हम किस समाज जी रहे हैं। अगर आप अपने निजी दीवार को ढहा कर फिर से निर्माण कराना शुरू करें और आपका पड़ोसी आकर ये कहे कि ये दीवार मेरी है और दीवार के अंदर की जमीन भी मेरी है। इस पर फिर निर्माण नहीं कर सकते हो तो हैरान होने वाली बात नहीं है। कुछ ऐसी ही अजीबोगरीब घटना कोतवाली क्षेत्र मनकापुर के अंतर्गत आने वाले गांव बैरीपुर रामनाथ मजरा विरतिया में हुआ है। गांव के निवासी शैलेन्द्र तिवारी जो गाटा संख्या 271 रकबा 5 बिस्वा आबादी की जमीन पर पुश्तैनी से काबिज है। अपने इसी जमीन पर शौचालय का निर्माण करा रहे हैं। उसी जमीन पर एल आकार में इनकी खुद की दीवार थी और बगल में सटी हुई दीवार पड़ोसी ओमप्रकाश तिवारी उर्फ बन्नू की थी। शैलेन्द्र तिवारी ने पक्की दीवार उठाने के उद्देश्य से अपनी मिट्टी वाली दीवार गिरा दी। इतने में ओमप्रकाश तिवारी उर्फ बन्नू ने भी अपनी दीवार गिरा दिया। जब शैलेन्द्र दीवार अपनी उठवाने के लिए मजदूर को लगाया तो ओमप्रकाश तिवारी उर्फ बन्नू ने दीवार उठाने से मना कर दिया और आबादी वाली जमीन पर फर्जी तरीके से हक जताना शुरू कर दिया। जिसको लेकर विवाद बढ़ गया। इस मामले को लेकर पड़ोसी गांव के ही दो फर्जी पत्रकार जो नशे में हमेशा धुत रहते हैं सुनीश मिश्रा व सर्वेश तिवारी उर्फ जय शिव सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें प्रसारित कर रहे हैं। मैं इन्हीं खबरों का खंडन कर समाज के सामने सच ला रहा हूं।

जिस जमीन पर दावेदारी, उस पर काबिज

आपको बता दें कि ओमप्रकाश तिवारी उर्फ बन्नू ये पुलिस प्रशासन के सामने ये दावा किए हैं कि गाटा संख्या 270, रकबा 6 बिस्वा जो कि नवीन परती है, जो कि उनके मेन दरवाजे की जमीन है। उस जमीन का उनके दिवंगत पिता राम रंग तिवारी के अपने नाम से पट्टा कराये थे। जबकि उक्त गाटा संख्या के केवल तीन बिस्वा का पट्टा मृतक राम रंग तिवारी के नाम है जो कि फर्जी है। गौरतलब है कि राम रंग तिवारी सरकारी अध्यापक होने की वजह से अपात्रता की श्रेणी में आते थे। तत्कालीन राजस्व अधिकारियों से मिलीभगत कर उन्होंने वर्ष 1990 के दरमियान अपने ही नाम सरकारी जमीन को फर्जी पट्टा करा लिया था। ओमप्रकाश तिवारी के घर के पीछे भी गाटा संख्या 249 रकबा 5 बिस्वा नवीन परती की जमीन पर इन्हीं का अवैध रूप से कब्जा है। जिस पर शौचालय का भी निर्माण है। वर्तमान में अगर फर्जी पट्टे की तीन बिस्वा भूमि न जोड़ें तो ओमप्रकाश तिवारी उर्फ बन्नू 8 बिस्वा सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा जमाया हुआ है, जो कि विधि विरूद्ध है।

मंदिर के रास्ते का दावा फर्जी

ज्ञान प्रकाश तिवारी उर्फ भूपाल मंदिर के रास्ते को लेकर फर्जी दावा कर रहा है कि शैलेन्द्र तिवारी के जमीन से आते- जाते हैं। ग्रामीणों से जानकारी ली गई तो पता चला कि ये साजिश रची जा रही है। शैलेन्द्र तिवारी के जमीन से कोई रास्ता नहीं है। वर्तमान में ज्ञान प्रकाश तिवारी पेशे से वायरिंग का काम करता है न कि देवतन बाबा मंदिर का पुजारी है। ज्ञान प्रकाश तिवारी ने देवतन बाबा मंदिर का जो नाम दिया है, ये पहली बार लोगों के संज्ञान में आया है। ग्रामीणों के मुताबिक ज्ञान प्रकाश तिवारी के कच्चे घर में देवतन बाबा का स्थान था। जिसका पुनरुद्धार कुछ वर्षों पहले इसके बड़े भाई रवि प्रकाश तिवारी ने कराई थी। तथा उसका आकार मंदिर जैसा दिया गया था। उक्त देवतन बाबा का स्थान घर के आंगन में हैं। जहां पर केवल इनका परिवार ही पूजा-पाठ करता है। यहां तक कि कभी कोई गांव का भी नहीं पूजा करने जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि जिस घर में इंसानियत मर चुकी हो, बेईमानी ही उसकी कर्म हो वहां पर देवतन बाबा कैसे रह सकते हैं? ज्ञान प्रकाश तिवारी व ओमप्रकाश तिवारी उर्फ बन्नू के कृत्यों ने समाज के सामने सवाल खड़ा कर दिया है। ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार होना जरूरी है वरना आज की खामोशी आने वाली पीढ़ियां झेलेंगी। हालांकि इन सभी फर्जी मंसूबों पर पानी फिरेगा। सत्य परेशान हो सकता पराजित नहीं।

जिला प्रशासन पर आरोप निराधार

ओमप्रकाश तिवारी व उनके भाई ज्ञान प्रकाश तिवारी ने जिला प्रशासन पर जमीन पर कब्जा कराने आरोप लगाया है। जो कि फर्जी व निराधार है। ओम प्रकाश तिवारी की पत्नी निशा व ज्ञान प्रकाश की पत्नी शालू वर्षों से पड़ी शैलेन्द्र तिवारी की जमीन पर अचानक झंड़ा लगा रही थी तभी शैलेन्द्र तिवारी ने 112 नंबर डायल कर पुलिस की मदद ली और मौके पर पहुंची पुलिस ने अवैध तरीके से लगे झंड़े को हटवाया। उसके बाद दोनों पक्षो को थाने पर बुलाया और शांतिभंग में सीआरपीसी की धारा 151,107,116 में चालान कर दिया। ज्ञान प्रकाश तिवारी पुलिस प्रशासन पर फर्जी आरोप लगाकर बदनाम करने की कोशिश कर रहा है।

नशेड़ियों का लगता है जमघट

आपको बता दें कि विगत कई वर्षो से सुनीश मिश्रा और सर्वेश तिवारी उर्फ जय शिव फर्जी पत्रकार बनकर जनता व अधिकारियों को गुमराह करते हैं। ये दोनों दिन रात गांजे के नशे में रहते हैं, शाम के समय अक्सर इन नशेड़ियों का सर्वेश तिवारी के खेत में बनें छोटे से कमरे में जमावड़ा होता है, जहां पर ओमप्रकाश तिवारी भी रोज गांजा पीने जाता है। रात में नशे की हालत में लोग खूब हल्ला करते है। जिससे आस-पास के लोग भयभीत रहते हैं। पत्रकारिता की आड़ में लोगों से धन उगाही भी करते हैं। इनके पास न तो पत्रकारिता की डिग्री है और न ही जनसंपर्क विभाग गोंडा में नाम दर्ज है। फर्जी पोर्टल व आईडी बनाकर लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को बदनाम कर रहे हैं। इन सभी के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही के लिए पुलिस अधीक्षक गोंडा को लिखित शिकायत की गई है।