‘न्यू इण्डिया की मोदी-सरकार’ की लोकघातक नीतियाँ!

'मुक्त मीडिया' का 'आज' का सम्पादकीय

आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

इस समय एक लीटर पेट्रोल के मूल्य पर केन्द्र की सरकार लगभग ४० रुपये ले रही है और लगभग १६ रुपये राज्य-सरकारें ले रही हैं। पिछले सात वर्षों से निकृष्ट और नितान्त निर्मम मोदी-सरकार देश की दुधारु जनता को दोनों हाथों से दूहती आ रही है और दूध न मिलने पर ‘दूधनिकालू सुई’ लगाकर दोहन करती आ रही है। पेट्रोलियम पदार्थों को जी० एस० टी० के अन्तर्गत क्यों नहीं ले रही है? इस प्रकार ‘एक्साइज़ ड्यूटी’ और ‘वैट’ के चलते, भारतवासियों को महँगाई की चक्की में लगातार पीसा जा रहा है। इसका दर्द उन्हें नहीं होता, जो ख़ान्दानी रिश्वतख़ोर और चोर-डक़ैत रहे हैं, जो रिश्वतख़ोरी और सेंधमारी करके अपनी आमदनी बढ़ाते आ रहे हैं; जो निठल्ले रहकर अपने संस्थानों से नोट कमाते आ रहे हैं; जो सरकारी संस्थानों में रहकर कर्त्तव्यविहीनता का परिचय देते आ रहे हैं।

निकम्मा पेट्रोलियम मन्त्री धर्मेन्द्र प्रधान कहता है– खाने के तेल इसलिए महँगे हो रहे हैं कि हमारी सरकार मिलावटी तेल के स्थान पर ‘शुद्ध तेल’ दे रही है।” ऐसा कथन एक विक्षिप्त व्यक्ति भी नहीं करता। जिस खाद्य तेल की सामान्य बोतल को हम ७०-७५-१०० रुपये में ख़रीदते थे, वही अब २००-२५० रुपये के लगभग पहुँच चुकी है। कुछ समय पूर्व जिस गैसभरे सिलिण्डर को हम ५००-६०० रुपये में ख़रीदते थे, अब उसका दाम लगभग ८०० रुपये कर दिया गया है।

‘न्यू इण्डिया की मोदी-सरकार’ ने अपनी लोकघाती, निर्मम तथा निकृष्ट नीतियों के कारण देश की जनता का जीना दूर्भर कर दिया है। ऐसे में, इस सरकार को चलानेवालों की चरित्रहीनता उजागर हो चुकी है।

दृष्टि में वस्तुपरकता लायें तो कथित मोदी-सरकार की निरंकुशता को बल देने में उन अफ़ीमचियों का हाथ है, जो भिखमँगई की दशा को प्राप्त कर चुके हैं; किन्तु “मोदी अच्छे हैं” और ‘हिन्दुत्व’ का मजीरा और घण्टा बजाते आ रहे हैं। उनमें ऐसे भी हैं, जो खापीकर डकार मारते आ रहे हैं और ‘नरेन्द्र मोदी ऐण्ड कम्पनी’ का गुणगान करते आ रहे हैं। वैसे कोरोनाकाल में अपने घर-परिवार के सदस्यों से निस्सहायता की स्थिति में हाथ धोनेवाले, नौकरीविहीन तथा सरकार की नितान्त लोकघाती नीतियों से संत्रस्त अधिकतर लोग का नरेन्द्र मोदी और उसकी सरकार से मोहभंग हो चुका है।
देश की जनता की समग्र में यदि आँखें नहीं खुलीं तो इससे भी बढ़कर दुर्दिन देखने पड़ेंगे। समय रहते चेतें और देश की जनता को अभावग्रस्त जीवन जीने के लिए बाध्य और विवश करनेवाली ‘न्यू इण्डिया की मोदी-सरकार’ को समूल उखाड़ फेंकें, अन्य कोई ‘विकल्प’ नहीं है।
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १६ जून, २०२१ ईसवी।)