लाल किले पर उसे टांग दो जिसे देश से प्यार नहीं

कछौना में आयोजित किया गया विराट कवि सम्मेलन

               हरदोई- श्री सोमेश्वर महादेव सेवादार समिति के तत्वावधान में चल रहे सप्तम भव्य श्री गणेश महोत्सव के तीसरे दिन विराट कवि सम्मेलन का आयोजन गया। कार्यक्रम में कवियों ने अपनी रचनाओं से ऐसा समा बांधा कि श्रोता देर रात तक अपनी कुर्सियों पर डटे रहे।
                कार्यक्रम की शुरुआत डीआईजी सत्येंद्र कुमार सिंह ‘शलभ’ व विशिष्ट अतिथि  वी0पी0 सिंह एवं दिनेश दीक्षित ने मां शारदा के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन कर किया। कवि सम्मेलन का शुभारंभ गीतकार जगजीवन मिश्र की वाणी वंदना “मैया ललना समझ  दुलरावा करो/ हम बुलाई ना बुलाई मुला आवा करो”  से हुई। बदायूं से आये ओज कवि डॉ0 कमलकांत तिवारी ने “गो, गंगा, गायत्री का जिस मन मे सोच विचार नहीं।लाल किले पर उसे टांग दो जिसे देश से प्यार नहीं” कविता पढ़ तालियां बटोरी। लखीमपुर से आयी कवयित्री रंजना सिंह ‘हया’ की कविता “रोज ससुराल में जलती है बहू सुनती हूँ, ये हया अब मुझे शहनाई से डर लगता है” काफी सराही गयी। गीतकार पवन कश्यप ने “हाथ मेरा छोड़कर,बन्धनों को तोड़कर, तुम उधर चली गयी,मैं इधर खड़ा रहा, रोशनी चली गयी, चराग बस पड़ा रहा” गीत पढ़ वाहवाही लूटी।
                 कार्यक्रम संयोजक हास्य कवि अजीत शुक्ल ने दलबदल पर तंज कसते हुए “चाटुकारिता के फंडे बदल रहे हैं। हो गया चुनाव अब झंडे बदल रहे हैं” कविता पढ़ श्रोताओं को लोट पोट कर दिया। शाहजहांपुर से आये ओज कवि उर्मिलेश सौमित्र ने  “सुनते हैं जब चंद लुटेरे आये जब सरकारों में, लोकतंत्र की हत्या कर दी सत्ता के गलियारों में”रचना पर माहौल को देशभक्तिमय कर दिया। दाता गंज से आये गीतकार मुकेश कमल ने “कोई ख्वाहिश न फिर हमें रहती, तुम अगर हमको मिल गए होते” गीत काफी पसंद किया गया। बाराबंकी से आये संचालक हास्य कवि विकास बौखल ने “मैंने कहा प्रिये तुम्हारे प्रेम में कटौती करने की कहाँ मेरी हस्ती है। लेकिन आजकल हर लग्जरी आइटम पर अट्ठाइस परशेन्ट जीएसटी है” कविता पढ़ श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। श्याम पंकज ने “कराल काल नाथ के नकेल को फंसा दिया, तिरंग शैल के विराट वक्ष में धंसा दिया।” कविता पढ़ने  पर वन्देमातरम के उद्घोष से पूरा पंडाल गूंज उठा। जगजीवन मिश्र ने “प्यार में मर मिटे जाने कितने यहां, प्यार करना है तो फिर जिगर चाहिए” गीत पर श्रोता झूम उठे।
              मुख्य अतिथि श्री शलभ की गजलों को श्रोताओं ने काफी सराहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रायबरेली से पधारे हास्य कवि जमुना प्रसाद पांडेय ‘अबोध’ ने अपनी हास्य कविता पर पेट पकड़ कर हंसने को मजबूर कर दिया। आये हुए अतिथियों का आभार पंकज शुक्ला ने व्यक्त  किया।कार्यक्रम में समिति अध्यक्ष अनूप कुमार गुप्ता, कार्यक्रम सूत्रधार क्रांतिवीर सिंह, नेताजी राव मराठा, अंशू गुप्ता, तुलसी गुप्ता, मनोज गुप्ता, अमित गौड़, श्याम जी गुप्ता, मनोज पांडेय, अवधेश गुप्ता, अखिलेश गुप्ता आदि मौजूद रहे।