तुम्हारी फ़ाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है… यहाँ जुम्मन के घर में आज भी फूटी रक़ाबी है

शरदेन्दु मिश्र ‘राहुल’ (Sub Editor IV24)

तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है… यहाँ जुम्मन के घर में आज भी फूटी रक़ाबी है

बघौली वैश्विक महामारी कोविड 19 कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद दुनिया समेत भारत में भी बहुत बदलाव आए हैं । पर दुनिया के सबसे बडे़ लोकतंत्र भारत पर भी इसका बहुत प्रभाव पडा़ है । सबसे बड़ी समस्या प्रवासी कामगारों के सामने खडी़ है जिसमे कि केन्द्र सरकार समेत उ. प्र. राज्य सरकार भी बडे़ बडे़ दावे कर रही है । पर धरातल पर सरकारी कर्मचारियों समेत ग्राम प्रधानों के उदासीन रवैये से योजनाएं दम तोड़ जाती है।

उदाहरणार्थ मामला हरदोई जनपद के विकास क्षेत्र अहिरोरी के सिकुरा मजरा जासू ग्रामसभा का है । जहाँ पर रहने वाले नरेश कुमार मिश्र लगभग दो दशक पूर्व रोजी-रोटी की तलाश में पानीपत गये थे । जहाँ वह किराये का कमरा लेकर कमाने-खाने के साथ-साथ अपने दो बच्चो को पढ़ाने भी लगे और जी-तोड़ मेहनत के बाद दो वक्त की रोटी जोड़ सके।

कोरोना संक्रमण के दौर के बाद सारी जमा पूंजी खर्च कर 19 मई को पानीपत से किसी तरह गांव पहुचने पर देखा कि पैतृक मकान ज़मींदोज़ हो चुका है , कुनबे समेत पडो़सी के यहाँ आश्रय लेकर रहने लगे और जासू प्रधान के यहाँ शौचालय प्रवासी योजनाओं व राशन कार्ड के लिये दौड़ने लगे जहां प्रधान नन्दकिशोर द्वारा कहा गया कि नियमानुसार जो कार्यवाही संभव होगी कराने का प्रयास करेंगे। सरकार की की महत्त्वाकांक्षी योजनाएं अधिकारियों के ढुलमुल रवैये के आगे भेंट चढ़ रही हैं।