सामाजिक भेदभाव के चलते पुजारी ने परिवार को श्राद्ध कर्म करने से रोका*

कछौना (हरदोई) – कोतवाली कछौना के अंतर्गत कस्बा कछौना के एक परिवार ने मंदिर के पुजारी पर सामाजिक भेदभाव व अस्पृश्यता के आरोप लगाए हैं l परिवारजनों के मुताबिक मंदिर के पुजारी ने सामाजिक भेदभाव के चलते परिवार वालों को मंदिर परिसर के किनारे मरणोपरांत संस्कार कर्म करने से मना कर दिया गया l जबकि प्रभावशाली और अन्य वर्ग के लोग पारिवारिक सदस्य के मरणोपरांत उसी स्थान पर संस्कार कर्म करते हैं l

भारतीय संविधान के समानता के अधिकार के अनुसार धर्म, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर किसी भी व्यक्ति से भेदभाव नहीं किया जा सकता है l पर क्या सामाजिक भेद-भाव खत्म हो चुका है? सच पूछो तो ऐसा नहीं है। हालांकि कई वर्षों पहले की तुलना में समाज के कुछ भेदभाव धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं, मगर आज के दौर में भी कुछ घटनाएं ऐसी हो रही हैं जिनसे से यह पता चलता है कि आज भी सामाजिक भेदभाव व्याप्त है l ऐसा ही एक मामला हरदोई जिले की नगर पंचायत कछौना पतसेनी से प्रकाश में आया है l

मिली जानकारी के अनुसार कस्बा कछौना के मोहल्ला पूर्वी बाजार निवासी श्याम कुमार की माता यशोदा देवी का बीते पांच जुलाई को स्वर्गवास हो गया था l अंतिम संस्कार के बाद पूरा परिवार सोमवार नौ जुलाई को संस्कार कर्म के लिए कस्बा स्थित बाबा कुशीनाथ मंदिर पहुँचा l जहाँ मंदिर के पुजारी राघवेंद्र तिवारी ने परिवार को मरणोपरांत संस्कार कर्म करने से रोक दिया l
परिवारजनों के अनुसार मंदिर के पुजारी ने जातिगत टिप्पणी करते हुए सामाजिक भेदभाव के कारण उन्हें संस्कार कार्य करने से रोका l श्याम कुमार ने बताया जब उनका परिवार मंदिर पहुंचा और मंदिर परिसर के किनारे स्थित तालाब (जहाँ वर्षों से नगर के सभी वर्गों के लोग मरणोपरांत संस्कार कर्म करते हैं) के पास संस्कार कार्य करने लगा तो मंदिर के पुजारी राघवेंद्र तिवारी ने कूड़े की ढेर की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यह सब वहाँ जाकर करो l जिस पर परिवारजनों ने मंदिर के पुजारी राघवेंद्र तिवारी से कहा कि नगर के अन्य वर्ग के लोग तो इसी स्थान पर श्राद्ध कर्म करते हैं फिर हमें क्यों मना कर रहे हैं l जिस पर मंदिर के पुजारी ने जातिगत टिप्पणी करते हुए कहा कि यह स्थान तुम लोगों के प्रयोग लिए नहीं है l जिसके कारण परिवार को नगर के बाहर कछौना देहात स्थित अपने खेत पर मरणोपरांत के सभी कार्य करने पड़े l

नगर के संभ्रांत लोगों को जब मंदिर के पुजारी द्वारा किए गए इस कृत्य व व्यवहार के बारे में पता चला तो उन्होंने मंदिर के पुजारी के इस कृत्य को निंदनीय बताया l

बाबा कुशीनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष डॉक्टर अनिल गुप्ता से जब इस प्रकरण के संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर में कहीं भी ऐसे कार्य करने की अनुमति नहीं है l साथ ही मंदिर के पुजारी द्वारा की गई जातिगत टिप्पणी को अशोभनीय बताया l

इस प्रकरण से नगर में चर्चा का बाजार गर्म है और लोग पुजारी के इस कृत्य की घोर निंदा कर रहे हैं l कुछ भी हो पर मंदिर के पुजारी द्वारा इस तरह का व्यवहार किसी व्यक्ति या परिवार की गरिमा और उसके अस्तित्व पर सीधा प्रहार है, जो निंदनीय होने के साथ-साथ उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है l


*मंदिर समिति ने मंदिर परिसर में नोटिस लिखवाई*


मंदिर परिसर में हुई सामाजिक भेदभाव की इस घटना को लेकर मंदिर समिति की कार्यशैली पर प्रश्न खड़े हो गए थे l पूरे नगर में इस घटना की हो रही घोर निंदा से मंदिर समिति हरकत में आई और भविष्य में ऐसी कोई घटना ना घटित हो इसके लिए मंदिर समिति की ओर से मंदिर परिसर में नोटिस लिखवा दी गई है l अब देखना यह है कि क्या मन्दिर परिसर में लिखाई गई यह नोटिस सभी वर्गों पर समान रूप से लागू हो पाएगी l