आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उच्चतम न्यायालय की डिजिटल फाइलिंग प्रणाली का उद्घाटन किया। उच्चतम न्यायालय को कागज रहित बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। श्री मोदी ने उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट को अभियोग निस्तारण सूचना प्रणाली यानी आई सी एम आई एस के साथ जोड़ा। वकीलों से गरीबों को प्रधानमंत्री ने सरकारी व्यवस्था के अनुसार कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के लिए आगे आने का आग्रह किया है। उन्होंने अपील की है कि वे दलितों और वंचितों को कानूनी सहायता पहुंचाने की मुहिम चलाएं।
श्री मोदी ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर जोर देने की जरूरत है, क्योंकि इनमें आर्थिक परिस्थितियों को बदलने की क्षमता है। मेरे हिसाब से ई-गवर्नेंस, ईजी गवर्नेंस, इफेक्टिव गवर्नेंस, इकोनोमिकल गवर्नेंस, एन्वॉयरमेंट फ्रेन्डली गवर्नेंस। हम इस ई-गवर्नेंस को जीवन के हर क्षेत्र में कैसे लाये। रिसर्च ये कहता है कि ए-4 साइज का एक कागज पूरी प्रक्रिया के दौरान 10 लीटर पानी कन्ज्यूम करता है। इसका मतलब ये हुआ कि मैं अगर इस पेपरलैस दुनिया की ओर जाता हूं तो मैं कितनी बड़ी आने वाली पीढि़यों की सेवा करने वाला हूं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि शासन में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए सोच को बदलने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के सहारे ही भारतीय प्रतिभाएं देश का भविष्य संवार सकती हैं। श्री मोदी ने उन न्यायाधीशों को धन्यवाद दिया जिन्होंने गर्मी की छुट्टियों के दौरान भी संवेदनशील मामलों की सुनवाई जारी रखने का फैसला किया है। मुझे कई जगह से खबरें आ रही है कि बहुत बड़ी मात्रा में हाईकोर्ट में सुप्रीमकोर्ट में जजीज अपने वेकेशन को कम करके इस देश के गरीबों के लिए अपना समय देने वाले हैं। मैं इसका बड़ा आभारी हूं। क्वांटम के रूप में इसका परिणाम क्या आता है। वो अलग बात है लेकिन इस प्रकार का भाव पूरे वातावरण को बदल देता है। एक सेंस ऑफ रिसोपांसविलिट को बल देता है। इस अवसर पर प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर ने कहा कि सभी चौबीस उच्च न्यायालयों और अधीनस्थ न्यायालयों को नई प्रणाली से जोड़ा जाएगा। उच्चतम न्यायालय को हम छह-सात महीनों के अंदर पेपरलैस बनाने जा रहे हैं, इसलिये नई तकनीकों को अपनाना जरूरी था, ताकि न्यायालय का कामकाज आसान हो और बड़ी संख्या में लंबित पड़े मामलों को निपटाया जा सके। यह न्यायिक प्रणाली को तकनीक से जोड़ने की दिशा में अब तक का सबसे बड़ा प्रयास है। (स्रोत-आकाशवाणी)