विश्व खुशी सूचकांक, २०१८ में भारत १२२ वें पायदान से पिछड़ कर १३३ वें स्थान पर

मनहरण-

संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क (यूएन‌एसडीएन) द्वारा विश्व खुशी सूचकांक, २०१८ जारी किया गया है। फिनलैंड का नाम सबसे खुशहाल देश में आया है। वह जारी रिपोर्ट में सबसे ऊपर है। पिछले साल नार्वे सबसे ऊपर था। फिनलैंड अपने अंकों में सुधार कर नार्वे से आगे निकल गया।

भारत के नजरिए से देखने पर इस सूचकांक की सबसे खास बात यह है कि वह पिछले सूचकांक में १२२ वें पायदान से पिछड़ कर १३३वें स्थान पर पहुंच गया है। दक्षिण एशिया के देशों में पिछले साल भी भारत अफगानिस्तान को छोड़कर सबसे निचले पायदान पर था। पाकिस्तान सबसे ऊपर था। इस बार भी भारत की स्थिति वहीं है।

पिछले साल १५५ देशों की सूची में पाकिस्तान-८०, भूटान-९७, नेपाल-९९, बांग्लादेश-११०, श्रीलंका-१२० और अफगानिस्तान – १४१ वें पायदान पर था।

इस वर्ष की जारी रिपोर्ट में भारत को ११ पायदान का नुक़सान हुआ। १२२ से फिसलकर १३३वें पायदान पर पहुंच गया है। उससे भी पूर्व जायें तो भारत का पायदान ११८ वां था। इस वर्ष जारी रिपोर्ट में पाकिस्तान के अंकों में सुधार हुआ है। वह ८०वें पायदान से ऊपर उठकर ७५वें पायदान पर पहुंच गया है। यह स्थिति तब है, जब पाकिस्तान को आतंक का पर्याय माना जाता है। भारत शांति का पोषक होने के बावजूद भी खुशहाली में निरंतर पिछड़ रहा है।

एक बात तय है कि खुशहाली पैसा-कौड़ी बहुत हो जाने से नहीं होती है। यदि ऐसा रहता तो सबसे अमीर और शक्तिशाली देश अमेरिका सबसे ऊपर रहता। दिलचस्प बात यह भी है कि अमेरिका भी ११वें पायदान से फिसलकर १८वें पायदान पर पहुंच गया है।

एक बात और है भारतीय में संतुष्टि नाम की चीज बहुत कम देखने को मिलती है। कितनों धन-दौलत हो जाय, फिर भी हाय-बाप, हाय-बाप करने में लगे रहते हैं।

नेपाल जैसा गरीब देश और पाकिस्तान जैसा आतंकवाद से पीड़ित देश हमसे ज्यादा खुश है, हम क्यों नहीं हो सकते ? खुश रहने की कोशिश तो कीजिए। संतोष तो कीजिए। सरकार को भी खुशहाली लाने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए।