रोहित शर्मा की अदूरदर्शितापूर्ण कप्तानी के बावुजूद भारतीय खेलाड़ियों ने टी-20 शृंखला अफग़ानिस्तान से जीती

१७ जनवरी को भारत और अफग़ानिस्तान के मध्य बंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम मे खेले गये तीसरे और अन्तिम टी-20 क्रिकेट-मैच को दूसरे सुपर ओह्वर मे भारत जीत गया है; परन्तु रोहित शर्मा की अनुभवहीन कप्तानी सामने आ चुकी है। रोहित किसी भी संस्करण के कप्तान-लायक़ नहीं रह गये हैं। हमने दक्षिण अफ़्रीका के साथ खेले गये टेस्ट मैच मे उनकी असरहीन कप्तानी भी देखी थी। अब समय आ चुका है कि उनसे कप्तानी ले लेनी चाहिए।

अब तीनो संस्करणो के लिए अलग-अलग कप्तान बनाने होंगे, ताकि तीनो बिना दबाव के अपनी-अपनी भूमिका का प्रभावकारी निर्वहण कर सकें; परन्तु रोहित शर्मा को किसी भी संस्करण का कप्तान नहीं रखना होगा। टेस्ट मैच के लिए विराट कोहली, एकदिवसीय अन्तरराष्ट्रीय मैच के लिए के० एल० राहुल तथा टी-20 के लिए हार्दिक पाण्ड्या/पण्ड्या बेहतर कप्तान सिद्ध हो सकते हैं।

रोहित एक बहुत अच्छे खेलाड़ी हो सकते हैं; परन्तु कप्तान बिलकुल नहीं। रोहित शर्मा ने एक बल्लेबाज़ के रूप मे शानदार और जानदार प्रदर्शन (६९ गेंदों मे १२१ रन) किया था। रिंकू सिंह ने ३९ गेंदों मे अविजित ६९ रन बनाकर अपने होने को सिद्ध कर दिया था। इसप्रकार दोनो ने मिलकर पाँचवें विकेट के लिए १९० रनो की साझेदारी की थी, जो टी-20 के अन्तरराष्ट्रीय मैच मे पाँचवें विकेट के लिए सर्वाधिक शतकीय भागीदारी बन चुकी है। रोहित शर्मा ने अपने अविजित १२१ रनो मे जहाँ ११ चौके और ८ छक्के लगाये थे वहीं रिंकू सिंह ने अपने अविजित ६९ रनो मे २ चौके और ६ छक्के लगाकर भारतीय दल की रनसंख्या को २०० के पार पहुँचाने मे अपना महत् योगदान किया था, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय दल ने अफग़ानिस्तान के सामने जीत के लिए २१३ रनो का लक्ष्य रखा था। रोहित शर्मा टी-20 मैच मे ५ शतक बनानेवाले विश्व के पहले बल्लेबाज़ बन चुके हैं।

भारत ने टॉस जीतकर बल्लेबाज़ी करने का निर्णय किया था तथा उसके ४ खेलाड़ी मात्र २२ रन के स्कोर पर आउट हो चुके थे। यशस्वी जायसवाल और शिवम दुबे का निराशाजनक प्रदर्शन था। विराट कोहली और संजू सैम्सन तो खाता भी नहीं खोल पाये थे। अफग़ानिस्तान के गेंदबाज़ फ़रीद अहमद ने ३ विकेट लिये थे।

लक्ष्य का पीछा करते हुए, अफग़ानिस्तानी आरम्भिक बल्लेबाज़ गुरबाज़ और इब्राहिम दृढ़ता के साथ बल्लेबाज़ी करने के लिए मैदान पर आये थे। दोनो ही बल्लेबाज़ों ने हर भारतीय गेंदबाज़ को मुँहतोड़ जवाब देते हुए, बिना विकेट खोये रन ९२ रन बना लिये थे।

इस प्रकार ९३ रन पर अफग़ानिस्तान का पहला विकेट गिरा था। चौथे विकेट के लिए गुलबदीन और नबी ने अफग़ानिस्तान को १६३ की रन-संख्या तक पहुँचा दिया था। १८.२ ओह्वर मे अफग़ानिस्तान १८२ रन-संख्या तक पहुँच गया था। सातवें विकेट के लिए गुलबदीन ने शानदार बल्लेबाज़ी करते हुए, मैच मे बराबरी करते हुए, मैच को ‘सुपर ओह्वर’ तक पहुँचा दिया था। २०वें ओह्वर के आख़िरी गेंद पर केवल एक रन हो सकता था; परन्तु गेंदबाज़ी कर रहे मुकेश कुमार के गेंद विकेटरक्षक संजू सैम्सन रोक नहीं पाये, जो ‘बाई’ हो गया और गेंदबाज़ की छोर पर फेंके गये गेंद को मुकेश ने रोकने मे कोई दिलचस्पी ही नहीं दिखायी थी तथा एक अन्य खेलाड़ी की अदूरदर्शितापूर्ण थ्रो के चलते मैच ‘सुपर ओह्वर’ मे पहुँच गया, अन्यथा भारत मैच जीत गया रहता।

सुपर ओह्वर मे अफग़ानिस्तान ने भारत को जीतने के लिए १७ रन का लक्ष्य दिया था; यहाँ भारतीय दल ने बराबरी कर, दूसरे सुपर ओह्वर मे प्रवेश कर लिया था। भारत ने दूसरे सुपर ओह्वर मे बल्लेबाज़ी करते हुए, २ विकेट खोकर मात्र ११ रन बनाये थे, जिसके जवाब मे अफग़ानिस्तान का पहला विकेट ० पर गिर गया था तथा दूसरा विकेट मात्र १ रन पर। दोनो ही कैच बाउण्ड्री पर मुश्तैदी के साथ खड़े रिंकू सिंह ने लिये थे। इसप्रकार भारत अफग़ानिस्तान से यह मैच जीत गया और शृंखला पर ३-० से अधिकार कर लिया।

आवेश ख़ान का चयन करना ही नहीं था; क्योंकि उनकी गेंदबाज़ी मे बिलकुल कसाव नहीं है। यही कारण है कि वे लगातार विफल सिद्ध होते आ रहे हैं। वैसे देखा जाये तो किसी भी तीव्र भारतीय गेंदबाज़ों के गेंद मे ‘यॉर्कर’, ‘इन-स्विंग’ तथा ‘आउट-स्विंग’ नहीं दिखा। आरम्भिक अफग़ानिस्तानी बल्लेबाज़ों ने शॉर्ट पिच गेंदों की अच्छी ख़बर लेते हुए सीमा-पार का रास्ता दिखाये थे।

१३ वें ओह्वर मे आवेश ख़ान का एक ओह्वर मे २० रन और कुलदीप यादव के लगातार दो ओह्वरों मे १७-१७ रन, फिर आवेश ख़ान की अन्तिम ओह्वरों मे घटिया गेंदबाज़ी के कारण यह मैच पहले और दूसरे सुपर ओह्वर मे पहुँचा था। यह एक इत्तिफ़ाक था कि दूसरे सुपर ओह्वर मे रवि बिश्नोई संतुलित ओह्वर कर गये तथा रिंकू सिंह ने दोनो कैच कर लिये थे। रवि अफग़ानिस्तान को जीत के लिए एक ओह्वर मे दिये गये मात्र १२ रन के लक्ष्य से पहुँचने से पहले ही (मात्र १ रन पर) पहले और तीसरे गेंदों पर २ विकेट लेकर भारत को जीत दिला चुके थे।

विराट कोहली ने बिजली की रफ़्तार से लम्बी दूरी तय करते हुए, कैच किया था और क्षेत्ररक्षण करते हुए, उछलकर एक हाथ से गेंद को सीमा से बाहर करते हुए, छ: रन होने से बचाते हुऐ, उसे मात्र १ रन मे तब्दील कर दिया था, जिसकी भारत की जीत मे सर्वाधिक भूमिका रही।

दूसरे सुपर ओह्वर मे रवि बिश्नोई के गेंदों पर जिस तरह से रिंकू सिंह ने दो कैच लपककर भारत को शृंखला मे ३-० से विजय दिलायी है, वह सराहनीय है। सुपर ओह्वरों मे यशस्वी जायसवाल, संजू सैम्सन तथा रिंकू सिंह विफल रहे, जबकि दोनो ही सुपर ओह्वर मे रोहित शर्मा का बल्ला बोलता हुआ नज़र आया था।

मुकेश कुमार आख़िरी ओवरों मे कुछ हद तक संतुलित गेंदबाज़ी करते हुए नज़र आये; परन्तु उनका लगातार ‘वाइड बॉल’ करना, भारत के लिए महँगा सिद्ध होने लगा था। वेंकट सुन्दरम की किफ़ायती, संतुलित तथा घातक गेंदबाज़ी के कारण भारत ने अफग़ानिस्तान पर पूरा दबाव डाल दिया था; परन्तु आवेश ख़ान ने एक ओह्वर मे २० रन और कुलदीप यादव ने दो ओह्वरों मे ३४ रन देकर उस दबाव को धोकर रख दिया था, वरना भारत १७-१८ वें ओह्वर मे ही मैच जीत गया रहता और दो सुपर ओह्वर की स्थिति ही नहीं बनती। रोहित ने सुन्दरम् के ओह्वर मे कटौती करके मूर्खता का परिचय दिया था।

रही बात अफग़ानिस्तान की तो लगभग हारे हुए मैच को ज़िन्दा करते हुए, उसके आरम्भिक बल्लेबाज़ों ने सभी भारतीय गेंदबाज़ों की हवा निकाल दी थी।

नवोदित भारतीय हरफ़नमौला (आलराउण्डर) शिवम दुबे को ‘मैन ऑव़ द सीरीज़’ का पुरस्कार दिया गया था।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १८ जनवरी, २०२४ ईसवी।)

◆ चित्र-विवरण :– निर्णायक से अनावश्यक विवाद करते हुए भारतीय कप्तान रोहित शर्मा।