लोक-संसद् : देश का विपक्ष ‘लोकहित’ के प्रति ईमानदार है?

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
(प्रख्यात भाषाविद्-समीक्षक)

सूत्रधार : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय-


इस विषय पर देशहित में अब स्वस्थ संवाद-प्रतिसंवाद करने की आवश्यकता है। तो आइए! बिना किसी पूर्वग्रह के इस परिसंवाद में सक्रिय भागीदारी करते हुए, निर्भीक, किन्तु शालीन विचारों की अभिव्यक्ति करें। निस्सन्देह, नीतियों और नीयत पर प्रहार करना है, न कि व्यक्तिगत स्तर पर।

अनिल पाण्डेय

लोक-संसद् में अनिल पाण्डेय जी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वर्तमान में देश की राजनैतिक परिस्थिति विपक्ष के सबसे कमजोर दौर से गुजर रही है । लोकसभा में ऐसा कोई भी दल नहीं है जिसे मान्यता प्राप्त विपक्ष का दर्जा प्राप्त हो ।विपक्ष में राष्टीय स्तर पर कांग्रेस ही विपक्ष के रूप में एक मात्र राजनैतिक दल है और कांग्रेस मुक्तभारत करने का नारा लगाया जा रहा है जिससे भारत से विपक्ष मुक्त राजनीती का अर्थ प्रतिध्वनित हो रहा है जो कि लोकतंत्र की

अवधारणाओं के बिलकुल विपरीत है।क्षेत्रीय दल ,राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष की भूमिका नही निभा सकते हैं ऐसी स्थिति सिर्फ एक कमजोर और चरमराये होये लोकतंत्र की ओर ही इशारा करते हैं।लोकतंत्र को मजबूत बनाने की मुख्य जिम्मदारी ‘लोक’ की होती है ,इसे जनता को समझना होगा ।देश में जब विपक्ष कमजोर होता है तो उसका खामियाजा जनता को ही भुगतना पड़ता है ।लोकसभा में विपक्ष का नेता न होने के कारण ही ‘लोकपाल ‘की नियुक्ति का मामला अटका हुआ पड़ा है ।

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय जी ने प्रतिप्रश्न किया कि आपने काँग्रेस को एकमात्र राष्ट्रीय विपक्षी दल कहा है। इसे सिद्ध करने के लिए आप कौन-सा मानक प्रस्तुत करना चाहेंगे?

श्री अनिल पाण्डेय जी ने उत्तर देते हुए कहा कि घोर आश्चर्य, लोकसभा चुनाव में उसे पूरे देश से मिले वोट का प्रतिशत अपने आप में एक मानक प्रमाण है । आज भी कांग्रेस पूरे देश में चुनाव लड़ने की क्षमता रखने वाला एकमात्र राजनैतिक दल है, क्या इन तथ्यों और प्रमाणों से आपको इंकार है ?

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय जी ने एक और प्रश्न किया कि एकमात्र राष्ट्रीय विपक्षी दल काँग्रेस है अथवा संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन?

अनिल पाण्डेय जी ने कहा कि सिर्फ कांग्रेस की बात कर रहा हूँ ।