बच्चों के शव स्कूल में रखकर परिजनों ने मांगा न्याय

हरदोई– पाली थाना क्षेत्र के भरखनीं गांव में सरकारी स्कूल के 3 बच्चों की तलाब में डूबकर मौत के बाद पूरा गांव गमजदा है रात में शायद ही किसी घर में चूल्हा जला हो। सभी लोग शिक्षकों और ग्राम प्रधान पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। लोगों में गुस्सा इस कदर है कि बच्चों के शवों को विद्यालय में रख दिया।प्राथमिक स्कूल भरखनी स्थित तालाब में डूबकर तीन छात्रों की मौत के लिए ग्रामीण स्कूल टीचरों को दोषी मान रहे हैं। गुस्साए ग्रामीणों ने तीनों बच्चों के शवों को स्कूल परिसर के अंदर ले जाकर रख दिया। इसके बाद जम नारेबाजी करने लगें। ओर स्कूल में जम कर हंगामा काटा। मौके पर जिलाधिकारी पुलकित खरे को बुलाने की मांग पर ग्रामीण कर रहे थे।बवाल की आशंका को देखते हुए भारी पुलिस बल मौके पर तैनात कर दिया गया और उप जिलाधिकारी दिग्विजय प्रताप सिंह व शाहाबाद सीओ ममता कुरील ने लोगों से वार्ता की जिसके बाद बीएसए ने दो अध्यापकों को सस्पेंड कर दिया और दो शिक्षामित्रों का वेतन रोंका दिया।उसके बाद एसडीएम ने मृतकों के परिवारों को भूमि आवंटित करने का भरोसा दिलाया जिसके बाद ग्रामीण शांत हुए।
              जिन बेटों को मां नें नहा धुलाकर शिक्षा के मंदिर पढ़ने भेजा था उनके शव जब घर पहुंचे तो मानों आसमान फट गया हो। मरने वालों में दो सगे भाई भी थे। इनकी मां मंजू अपने जिगर के टुकड़ों को निर्जीव देखकर बेसुध थी,तीन बेटियों के बाद यह दो बेटे मोहित व हर्षि थे जो उसके वंश को आगे बढाते और उसके बुढापे का सहारा बनते लेकिन स्कूल की लापरवाही के चलते उसके सब सपने बिखर गए। वहीं इस घटना में मरे तीसरे बच्चे सूर्यांश के परिजन भी अपने लाडले की मौत के बाद बेसुध हैं। मेरा गला भी घोंट दो साहब अपने दोनों बेटों को गवां चुकी मंजू के मुंह से सिवाय इसके कि मेरा गला भी घोंट दो साहब अब कैसे कटेगी जिंदगी। वहीं सूर्यांश अपनी तीन बहनों का इकलौता भाई था उसकी मौत के बाद उसकी मां सत्यभामा के मुंह से भी यही निकल रहा है कि अब जिंदगी कैसे कटेगी।बीएसए हेमन्त राव ने बताया कि दो अध्यापकों में सस्पेंड कर दिया गया है जबकि शिक्षामित्रों का वेतन रोंका गया है।