
प्रेमधर्म के बिना परिवार नहीं टिकता..!!!
आजके माता पिता अपने बच्चों को IQ सिखा रहे हैं लेकिन EQ नहीं।
इसलिए अब रोना पड़ रहा है उनको।
EQ ही सुख का स्रोत है।
EQ ही परिवार का व्यवहार है।
EQ ही सम्बन्धों का आधार है।
प्रेम का धर्म अपनाओ अपना परिवार बचाओ।
प्रेम हृदय की अनमोल पूंजी है।
यह एक बार विकसित हो जाये तो मानव को देवता बना देती है।
प्रेम दिव्य है।
जीवन को दिव्य ढंग से जीने का एक ही उपाय है प्रेम।
प्रेम आत्मरक्षक तो होता है किंतु आक्रामक नहीं।
क्योंकि प्रेम परहित का भी रक्षक होता है।
जबकि घृणा परहित के लिए घातक है और स्वहित के लिए भी हानिकारक सिद्ध होती है।
घृणा में जीवन नहीं है।
प्रेम ही मनुष्य को घृणा से मुक्त कर सकता है।
घृणा में द्वेष है आक्रमण है युद्ध है।
प्रेम में मेल है, संक्रमण है, सामंजस्य है।
मनुष्य के हृदय को घृणा की नहीं प्रेम की आवश्यकता है।
सम्पूर्ण सुख और स्वस्ति केवल प्रेम में ही सन्निहित है।
प्रेम को जगाओ..!
स्वयं को देवता बनाओ..!!
सनातन धर्म से भागा और भटका हुआ हिंदुत्व किसी को सुखी नहीं देख सकता। अतः वह मनुष्यों के धर्म-अर्थ-काम पुरुषार्थ को नष्ट करने के लिए ही सीधे ‘मोक्ष’ की बात करता है।
क-ख-ग पढ़ाये बिना ही वह सबको पीएचडी कराना चाहता है जो उसे बर्बाद करने का एक कूटनैतिक प्रपंच मात्र है।
सनातन ब्रह्मचर्य आश्रम में शिक्षा ही मौलिक धर्म है, जिससे सभी मनुष्यों में ज्ञान-गुण-कौशल उत्पन्न होता है।
इस धर्म से ही गृहस्त आश्रम के लिए अर्थ उपार्जन की सामर्थ्य जागती है।
और अर्थोपार्जन से ही कामनाओं की पूर्ति होती है।
कामनाएं पूर्ण होने पर ही सुख उत्पन्न होता है। सुखी मनुष्य ही स्वस्थ और स्वतंत्र और मुक्त रहता है, इसे ही मोक्ष कहते हैं।
ये धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष ही सनातन धर्म के क्रमबद्ध चार पुरुषार्थ हैं।
इसीलिए सनातन धर्म में मोक्ष की सिद्धि के लिए संन्यास आश्रम प्रशस्त है जो 75 वर्ष के बाद क्रियान्वित होता है।
✍️???????? (राम गुप्ता, स्वतंत्र पत्रकार, नोएडा)