धर्मनिष्ठ महाराणा प्रताप

राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ‘राघव’ :

काश ! महाराणा प्रताप धर्मनिरपेक्ष होते
उन्हें भी आधा भारत मिल गया होता ।
देश, धर्म और स्वाभिमान हित
हल्दीघाटी का भीषण युद्ध न होता ।
समय सापेक्ष राजनीति करते
मुगलों से मिलते मौज़ करते ।
अकबर की जी हुजूरी करते
कभी-कभी कलिमा भी पढ़ते ।
सब कुछ होता यदि ऐसा होता
केवल उनका अमर नाम न होता ।
मसखरे बीरबल की तरह धाक होती
उनका नाम हिन्दू स्वाभिमान का पर्याय न होता ।
धर्मनिष्ठा ने राणा प्रताप के साथ-साथ
उनके घोड़े चेतक को भी अमर कर दिया ।
कैसा रहा होगा वह वीर
जिसने जानवरों में भी देशप्रेम भर दिया ।
चेतक ने घोड़ों को सम्मान दिलाया
किन्तु उसके त्याग को इंसान समझ न पाया ।
राणा का गजराज रामप्रसाद भी कम न था
तभी तो विधर्मी अकबर का तोड़ा उसने दम्भ था ।
अकबर एक हाथी को झुका न पाया
कायर चारणों ने ऐसे धूर्त को महान बताया ।
इतिहासकार महानता की परिभाषा जानते नहीं
जानते तो किसी और को महान बताते नहीं ।
आज की सियासत राणा प्रताप से सबक ले
अधर्मियों से अन्तिम श्वास तक द्वंद्व करे ।
हमें गर्व है भारत पर यह महाराणा प्रताप की संतति है
सूर्यवंश के वीर पुरुष को सादर श्रद्धाञ्जलि अर्पित है ।

रचना तिथि : 09/05/2020, अवसर : महाराणा प्रताप जयन्ती, स्थान : बालामऊ, हरदोई