२३ मार्च ‘शहीद दिवस’ पर श्रद्धाञ्जलि स्वरूप जगन्नाथ शुक्ल की शब्दांजलि

 भारत माँ के अमर सपूत भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को नमन …..

जगन्नाथ शुक्ल (इलाहाबाद)


आँखें नम हो जाती हैं, हर सीना चौड़ा हो जाता है,
शूली पे चढ़ते वीरों का जब ज़िक्र ज़ेहन में आता है।
भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, वह बलिदानी बेटे हैं,
जिन्हें याद कर भारत माँ का मस्तक ऊँचा हो जाता है।।
आँखें नम०………………………………………………
तब सहम गये थे सभी फिरंगी ,  भारत से ब्रिटेन तक,
जलराशि तक सब चमक उठे, गङ्गा से लेकर केन तक।
अबला माँ के बेटों ने , सबलता की अलख जगाई थी,
पति के जीवन को लेकर जब चिन्तित थी हर मेम तक।।
इंक़लाब के नारों से जिन्होंने सारे भारत में नाद किया,
ऐसे वीर सपूतों से माँ का आँचल हरा-भरा हो जाता है।
आँखें नम०………………………………………………
देखे थे अभी कुछ ही बसन्त, आई बस तरुणाई थी,
ऐसे इन वीरों के रक्तों से, प्लावित वीरभोग्या माई थी।
जिन वीरों ने भरी असेंबली में जा के बम को फोड़ा था,
बलिवेदी पर उनके चढ़ने की आज घड़ी वो आई थी ।
गर्वित था उनका चेहरा, थी बसन्ती रँग नहाने की चाहत,
२३ मार्च शहादत के गौरवशाली रँग से ख़ुद रँग जाता है।
आँखें नम०………………………………………………