कविता : भारतवासी

राघवेन्द्र कुमार“राघव”-


प्रधान संपादक, इण्डियन वॉयस 24

जो भारत माँ को माँ न माने,

वह कैसे भारतवासी हैं ?

जो मातृभूमि को ना पूजें,

द्रोही हैं कुल नाशी हैं ।

जिसके आँचल का जल नस में,

बनकर लहू दौड़ता है ।

जिस माटी का नमक जिस्म में,

बनकर जोश उमड़ता है ।

यदि धरती माता के घर में,

कोई आग लगाता है ।

वसुन्धरा की सुन्दरता को,

यदि कोई ग्रहण लगाता है ।

ऐसे दुष्ट पापियों की,

पहचान करो पहचान करो ।

देश धर्म के गद्दारों का,

मिलकर काम तमाम करो ।

भारत माता राह देखती,

आखिर कब वो दिन आएगा ?

कौन अदावत के आलम से,

हमको मुक्ति दिलाएगा ?