लाचारी-मज्बूरी का नाम है कोठा

 डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय



बज़्मे-महफ़िल की शान है कोठा,
दौलत और हुस्न का ईमान है कोठा।
यों ही नहीं बनती रक़्क़ाशा जान लीजिए,
लाचारी-मज्बूरी का नाम है कोठा।
तवायफ़ का जिस्म है रंगीनिये-शवाब,
रंगीनिये-हयात की पहचान है कोठा।
रंगीनिये-तबस्सुम का असर तो देखिए,
रंगीनिये-निगाह पे क़ुर्बान है कोठा।
रंगीमिज़ाजी का अब आलम न पूछिए,
रंगीनिये-बहार की मुसकान है कोठा।
रंगीनिये-माहौल से मुँह न छुपाइए,
रंगीनिये-तहज़ीब का इनाम है कोठा।
रंगी लिबास हुस्न का न है कोई जवाब,
रंगीनिये-अदा से बदनाम है कोठा।
(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, इलाहाबाद; २३ जुलाई, २०१८ ईसवी)