
दिल मानने को तैयार नहीं , मैं अकेला हूंँ |
चलते चले जाना है , किसी का अब इंतजार नहीं ,
दिल को समझाऊंँ कैसे ?
दिल मानने को तैयार नहीं , मैं अकेला हूंँ |
जीना तो है , जिएंगे हम , तुम बिन कैसे ?
हमको बतला दो , किसी का अब साथ नहीं ,
दिल मानने को तैयार नहीं , मैं अकेला हूंँ |
दिल बेचैन हुआ , दिल की तू सुन ले ,
किसे सुनाऊँ दिल का हाल , दिल मेरा परेशान हुआ ,
दिल मानने को तैयार नहीं, मैं अकेला हूंँ |
सुन ले एक दफ़ा , रहमत कर मुझ पर ए ! ख़ुदा !
संगिनी बिन जीना दुश्वार हुआ ,
काश , कोई चमत्कार हो जाए ,
मैं भी ! प्रफुल्लित हो जाऊंँ ,
दिल मानने को तैयार नहीं , मैं अकेला हूंँ |
चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज , उत्तर प्रदेश
१५/८/२०२३ , १२: १७ पूर्वाह्न
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