हकीक़त

दास्तां चलती रही
एक तरफ ,
थोड़ी सी नादानियां भरी
एक तरफ सब्र का तालीम
एक तरफ हुक्म की पेशकसी
थोड़ी रहमतें भी हो
दिलों में रंजिशें न बचे
थोड़ी अदायगी रहे ।

आकांक्षा मिश्रा, गोण्डा