ज़िन्दगी का मक़्सद बन!

शब्दार्थ :―

१- बुरी नीयत    २- छाजन अथवा खपरैल के मध्य का सबसे ऊँचा भाग    ३- मिट्टी का नालीनुमा बना हुआ होता है, जो अगल-बग़ल के खपरों के कोरों को ढकने का काम आता है। (यह भोजपुरी का संज्ञा-शब्द का स्त्रीलिंग है।)    ४- यह नरिया के साथ जुड़कर खपरैल का निर्माण करनेवाला चौकोर आकार का होता और उसके अगल-बग़लवाले हिस्से रक्षात्मक रूप मे थोड़ा-थोड़ा खड़े रूप मे दिखते हैं। यह भी भोजपुरी का शब्द है।

(सर्वाधिकार सुरक्षित― आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ६ फ़रवरी, २०२४ ईसवी।)