अभिजीत मिश्र, बालामऊ
बालि द्वारा शासित किष्किंधा में राम चाहते तो अपना उपनिवेश स्थापित सकते थे और अपने मन का कोई व्यक्ति राजगद्दी पर बिठा सकते थे… पर इस क्षेत्र में डर से कौन प्राणी जीवित है? किसके अहित हुए हैं और इनके (बालि) उत्तराधिकार कौन हैं, इस बात का ध्यान रखा।
रामराज्य की कल्पना मात्र अयोध्या में राजगद्दी पर बैठने से नही आयी वह तो ऐसे ही किष्किंधा और लंका में न्याय और दंड जैसी नीतियों की रक्षा से आयी। जिस पुष्पक विमान से वो अयोध्या लौटकर के आये हैं उसको भी जिस मालिक (कुबेर) से वह छीना जा चुका था उसको वहीं जाने के लिए कह रहे हैं। इतना कर लेने के उपरांत ही वह भरत और अन्य पुरवासियों से मिल संवाद करते हैं उसके पहले नहीं।
उतरि कहेउ प्रभु पुष्पकहि तुम्ह कुबेर पहिं जाहु।
धन्य हैं राम के चरित्र॥