स्वाधीनता आंदोलन में अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने में रामभरोसे आर्या ने निभाई थी सक्रिय भूमिका

शिव यादव

बिलग्राम: स्व. रामभरोसे आर्या जिले के मशहूर स्वतंत्रता सेनानी थे। आपका जन्म 13 अक्टूबर 1907 को बिलग्राम विकास खंड के ग्राम तरौली में हुआ। पिता का नाम दुलारे लाल तथा माता का नाम देव कुंवरि था। आपके पिता एक किसान थे । आप बहुत ही निर्धन परिवार से थे इसलिए बाल्यकाल में बहुत अधिक समस्या थी । आपका बचपन गांव में गुजरा। आप बचपन से ही देश सेवा करना चाहते थे । अतः आप 1930 में स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े और परिणाम स्वरूप पहली बार गिरफ्तार हुए। इसी समय दो महीने की कठोर सजा हुई। जेल से आने के बाद आपने अंग्रेजों, पूंजीपतियों एवं जमींदारों के विरुद्ध संघर्ष किया। सन् 1932 में पुनः आपको तीन महीने के लिए जेल में डाल दिया गया। 1941 में व्यक्तिगत आंदोलन में एक साल 6 माह का कठोर कारावास का दण्ड दिया गया। जेल में आपको अंग्रेज सिपाही तरह तरह की यातनाएं देते थे लेकिन इससे आपका देश प्रेम और भी बढ़ता गया।

सन् 1942 में डीआईआर, हैदराबाद के अंतर्गत गिरफ्तार किये गये और मुकदमा भी चलाया गया तथा आठ महीने तक जेल में भी रखा गया। आप आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती के परम भक्त थे इसलिए अपने नाम के पीछे से कुशवाहा शब्द हटा कर आर्य लिखना पसंद किया। आजादी के बाद अपने गांव‌ तरौली में रह कर जन सेवा करने लगे। आपको लोग नेताजी के नाम से पुकारते थे परन्तु आपने यह नाम नहीं अपनाया क्योंकि आपका मानना था कि नेता जी केवल एक ही महापुरुष थे जिनका नाम था सुभाष चन्द्र बोस। आप अपनी ग्राम सभा तरौली के 40 वर्ष तक प्रधान भी रहे। कांग्रेस के आलोचक व इंदिरा गांधी के परम प्रशासक आर्य को जब कांग्रेस से टिकट नहीं मिला तो 1967 से 1972 में निर्दल प्रत्याशी के रूप में विधानसभा का चुनाव लड़ा परंतु साधनहीनता के कारण सफल नहीं हो सके।

सन् 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हरदोई जिले के विशिष्ट सेनानियों में से एक आपको ताम्र पत्र से सम्मानित किया। देश – प्रदेश के सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों में भी आपका सहयोग रहा। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने राष्ट्रपति भवन में 9 अगस्त , 2007 को सम्मानित किया। इतना ही नहीं 2 अक्टूबर ,‌2016 ई. को आपको तत्कालीन राज्यपाल रामनाइक द्वारा मदारी पासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कार्यक्रम में हरदोई जिले में सम्मानित किया गया। सन् 1979 में कुश आश्रम, सुभाष नगर, हरदोई के प्रथम अध्यक्ष के रूप में आप कई वर्षों तक कुशवाहा और मौर्य समाज को एकजुट करने का प्रयत्न करते रहे। आपका जीवन बहुत संघर्ष में गुजरा । 18 अप्रैल, 2017 को 110 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के चलते आपका देहावसान हो गया।