——० हास-परिहास ०——
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
परिदृश्य-विवरण :–
‘क्रिमिनल बाबा’ का अय्याशीभरा दरबार सज गया है। क्रिमिनल बाबा मखमल-जैसे नरम-नरम स्वर्णिम गद्दे पर ओल्हरे हुए हैं। उनके चारों ओर पैर पसारे भगतिन क्रिमिनल बाबा के हाथ-पैर मीज रही हैं। धर्म-कर्म का ठीकेदार ‘क्रिमिनल बाबा’ ६५ इंच का सीना फुलाये झाड़-फूँक कर रहा है। बाबा से मिलने और अपनी समस्या के निराकरण के लिए चार अलग-अलग टिकट-खिड़कियों पर १२ किलोमीटर तक की लाइन लगी हुई है। साधारण टिकट का मूल्य २५ हज़ार, मध्यम श्रेणी का टिकट ५० हज़ार, डिलक्स टिकट ७५ हज़ार, सुपर क्लास का टिकट १ लाख रुपये तथा सुपर-डुपर का २.५ लाख रुपये है।
अचानक क्रिमिनल बाबा हुक्का गुड़गुड़ाते हुए, अपने बाउन्सरों को आदेश करता है कि सब तैनात और सतर्क हो जायें; क्योंकि भक्तों की टोली अपनी-अपनी समस्या लेकर आनेवाली है। कोई भी भक्त यदि कुछ गड़बड़ करे तो उसे ‘ध्यान-कक्ष’ मे ले जाने के बहाने जमकर कुटम्मस कर देना है।
पहली भक्तिन– बाबा के चरणों मे कोटी-कोटी परनाम।
बाबा जी! मै बहुत ऐम्बिसस हूँ। हाइ फेमिली से ‘बिलांग’ करती हूँ। मेरी एजुकेशन हाईमार्का है। मेरी मैरिज किसी ऐसे ओल्ड पर्सन से करा दीजिए महाराज! जो बहुत रिच हो और मालदार हो, फिर मैरिज होने के दो महीने बाद उसका विकेट डाउन हो जाये।
क्रिमिनल बाबा– ओ बेबी! तुम्हारी मनोकामना दिव्य है। अब तू मेरे बताये हुए नुस्खे का इस्तेमाल कर, तेरी विश स्योर ऐण्ड सर्टेन पूरी होगी।
पहली भक्तिन– हाँ बाबा! स्योर; करूँगी। आपका जो भी आदेस हो; हुकम करें बाबा!
क्रिमिनल बाबा– तो कान खोलकर सुन मेरी हिस्टारिकल बेबी! दिन में चार बार किसी बूढ़े बकरे को भरपेट छोला-भटूरा आठ महीने तक खिलाना और एक हजार गियारह बार ‘निरासाराम झाँसू’ के नाम का जाप करती रहना। उसके बाद किसी सफेद कौए को बाबा कामी फहीम की ‘लवचार्जर फिल्म एक हफते लगातार दिखाती रहना। नौवें दिन तुम्हारी मन्नत पूरी जायेगी बेबी। मन्नत पूरी होने पर एक मालदार बकरा पकड़ कर मेरे पास लाना होगा, वर्ना सब टायँ-टायँ फिस्स हो जायेगा, समझी?
पहली भक्तिन– समझी; पर माई ग्रेट माहाराज! हाऊ इज इट पॉसिबिल? ‘लव् चार्जर’ फ़िल्म का जुगाड़ तो हो जायेगा; पर मुआ सफेद कौआ मै कहाँ से पाऊँगी?
बाबा– अरे! तूने पढ़ा नहीं या फिर सुना नहीं– कोसिस करनेवालों की हार नहीं होती। बीर तुम बढे चलो-धीर तुम बढे चलो। ‘आत्मनिर्भर’ बनके दिखा बेबी! हमारे प्रधानमन्त्री की ग्रेटनेस से सीख– प्रयोग को ‘संयोग’ बनाना सीख।
पहली भक्तिन– जी, आछा माहाराज जी। मै भी एक ट्राई मारूँगी।
बाबा– (भक्तिन के सिर और नितम्ब-प्रान्त पर हाथ फेरकर थपकी देते हुए) जा बेबी! ग्रेट लभ टु यू; तेरा कल्याण होगा।
पहली भक्तिन– ओके बाबा! ट्राइ करनेवालों की डिफीट नहीं होती।
पहला भक्त– माहाराज जी के चरनन मे कोटी-कोटी परनाम। माहाराज जी! देस मे सनातन की चढ़ाई हो रही है। मेरे पड़ोसी कहते हैं :– बेटा! सनातन बन; कोचिंगवाले सर जी भी कहते हैं :– सनातन बन; सब कुछ पा जायेगा; पढ़ाई मे कुछ रखा नहीं है। उधर डैडी ललकारते रहते हैं :– स्ट्युडेण्ट बन, स्ट्युडेण्ट। माहाराज जी! मेरा माइण्ड झूले की तरह झूल रहा है। पढ़ाई-वढ़ाई तो हो नहीं रही है। ‘ऑन-लाइन’ पढ़ाई मे हमारा ‘डेटा’ खर्च हो रहा है और अलग से फीस की डीमाण्ड की जा रही है। माहाराज जी! पढ़ाई हो नहीं रही है; मगर इग्जाम होना ही है। ऐसे मे, नकल करने को कैसे मिलेगा? कोई ऐसा अकल बताओ माहाराज! जब मै नकल करूँ तब गार्डिंग करनेवालों को को नीद आ जाये।
बाबा– सुन बच्चा! अपने घर से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित किसी पुराने टीले पर चढ़कर डेढ़ महीने डेढ़ घण्टे डेढ़ सेकण्ड तक डेढ़ मीटरवाले लँगोटा धारण कर डेली डेढ़ दिनो तक भाँगड़ा डांस किया कर। तू जितनी देर तक डांस करता रहेगा उतनी देर तक तेरा गार्डिंग करनेवाले खर्राटे भरते रहेंगे।
पहला भक्त– माहाराज की जय हो।
दूसरी भक्तिन– बाबा जी के चरणों मे कोटी-कोटी प्ररनाम।
बाबा– बता बच्ची! तेरे को क्या प्रॉब्लम है?
दूसरी भक्तिन– बाबा! मै ‘लेडी डान’ बनना चाहती हूँ। कुछ ऐसा करो बाबा! कि रातों-रात मेरे हाथों मे ‘एके-47’ आ जाये और मेरा रूतबा बुलन्दियों को छू जाये। मै जिधर से निकलूँ, लोग अपने घर मे घुसकर खिड़कियों से मुझे डर से काँपते हुए देखते रहें। आय मीन, एवरीह्वेयर कर्फ्यू-जैसी सीन दिखे। क्या ऐसा पॉसिबिल है महाराज? इस पॉवर को एचीव करने के लिए मै कुछ भी कर सकती हूँ।
बाबा– तो ठीक है सुन फ्यूचर टेंस की लेडी डॉन! तू दस्यु सुन्दरी सीमा परिहार और सुरेखा के मेहँदी लगे हाथों की पिसी पुदीने की पाँच किलो चटनी तीन सालों तक डेली नाइट मे डेढ़ बजकर सत्रह मिनट पौने तीन सेकण्ड तक नाइटी धारण कर अगरबत्ती की लाइट मे उल्लुओं की आवाज निकालते हुए, फूलन देवी के चित्र को चटाया करना और कुछ स्वयं भी चाटा करना; तुम्हारी सारी मन्नतें पूरी जायेंगी।
दूसरी भक्तिन– क्रिमिनल बाबा की जय हो।
दूसरा भक्त (नेता)– माहाराज जी के चरणन मा कोटी-कोटी परनाम बाबा!
बाबा– तेरे को क्या तकलीफ है बच्चा! तू तो नेता लगता है। तू दुइ हजार चौबीस का पश्चिमी उत्तरप्रदेश से एलेकशन निकालना चाहता है न?
दूसरा भक्त (नेता)– धन्य हो बाबा धन्य! आप तो मेरो मन की सारी इक्षा जान गयो।
बाबा– बोल क्या चाहता है बच्चा!
दूसरा भक्त (नेता)– वही जो आप मेरो मन की बात जान्यो है। ईह बार मन्ने टीकठा दिलाय द्यो माहाराज।
बाबा– इसके लिए तुम्हें देस के संसद के दक्षिणी कोने मे एक बेसरम/बेहया के पौधे को लगाना होगा और हर तीसरे दिन एक ऐसे नेता की एक फोटू उस बेहया की एक पत्ती पर बिल्ली की टट्टी को हाथ से लेप लगाकर चिपकाने होंगे, जो खुले आम देश की मर्यादा को तार-तार करता आ रहा हो; अपने घृणित कृत्यों से देश को खण्ड-खण्ड कर रहा हो। ध्यान रहे, हर बार इसी प्रकार के एक नये नेता की फोटू रहे, जिसे देस की जनता घृणाभरी दृष्टि से देखती आ रही हो। ध्यान रहे, ऐसे नेता का चयन तभी करना, जब उसके विरोध मे सारे प्रमाण तेरे हाथों मे रहे, वर्ना तेरे घर ई० डी० और सी० बी० आइ० का छापा भी पड़वा जा सकता है। इस तरह से हर तीसरे दिन एक नये बेसरम नेता की फोटू चिपकाते रहने के साथ ही तुम्हारा यह धार्मिक अनुस्ठान निर्बिघ्न चलता रहेगा।
दूसरा भक्त (नेता)– माहाराज! मन्ने इ किरिया-करम कब तक करनू हँय?
बाबा– बच्चा! लगातार पाँच साल तक। छठा साल तुम्हारी जाति-बिरादरीवाले नेता तुम्हैं टिकट दै देंगे।
दूसरा भक्त– महाराज की जै हो।
इस प्रकार ‘क्रिमिनल बाबा’ का दरबार समाप्त हो जाता है।
(मो० नं० :– 9919023870)