शर्मा जी का दृष्टिदोष

हाईवे में जमीन जाने से एकदम से अमीर हुए लोगों और टेबल के नीचे से कमाई करने वाले बाबुओं की तो मैं नहीं कहता लेकिन मेरे जैसे जिन साधारण मनुष्यों के बच्चे स्कूल में, वह भी प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं; उनके लिए अप्रैल का महीना बड़ा कठिन गुजरता है।

दिल्ली जैसे बड़े शहर में वैसे तो किसी ठीक-ठाक स्कूल में बच्चों को एडमिशन जल्दी से मिलता नहीं है। लेकिन एक बार जब एडमिशन मिल जाता है तो चालाक स्कूल वाले मोटी फीस के लिए फिर हर साल अप्रैल में बच्चों का रि-एडमिशन करते हैं और मोटी फीस वसूलते हैं।

तो हुआ यूं कि एक नामी गिरामी प्राइवेट स्कूल में दोनों बच्चों की भारी- भरकम फीस जमा करने के बाद शर्मा जी स्कूटी से ऑफिस आ रहे थे । रास्ते मे शर्मा जी के आगे एक सुंदर महिला स्कूटी से जा रही थी । शर्मा जी उस सुंदरी को देखते हुए मोटी फीस भरने का बिल्कुल ताज़ा गम भुलाकर एक रूमानी सा शेर-

“रेंगता था हर नज़र का सांप उसके जिस्म पर,
मैं ये कैसे मान लूं उसका बदन संदल न था”
गुनगुनाते हुए ऑफिस चले आ रहे थे।

अचानक जेएनयू चौराहे के पास लाइट रेड हो गई । वह महिला तो—-

5-
4-
3-
2-
1-
की उल्टी गिनती पूरी होने तक स्टॉप लाइन से पीछे रुक गई लेकिन शर्मा जी का ध्यान चूंकि रेड लाइट की तरफ कम और उस महिला की तरफ ज्यादा था, अतः इमरजेंसी ब्रेक मारते-मारते भी शर्मा जी ज़ेबरा क्रॉसिंग पार कर गए।

ट्रैफिक पुलिस वाले होते तो शर्मा जी कोई गोली दे देते लेकिन नाश जाए चौराहों पर लगे इन सीसीटीवी कैमरों का , जिसने झट से शर्मा जी की स्कूटी सहित फोटो खींची और फट से 2000 का चालान बना दिया। एक तो अप्रैल की गरीबी , उस पर आटा भी गीला हो गया।

अच्छा यहां तक तो फिर भी ठीक था। विद्वानों ने कहा है कि पैसा हाथ का मैल होता है, इसके नुकसान पर ज्यादा शोक नहीं करना चाहिए।

लेकिन असल शोक तब हुआ जब इन नासपीटे ट्रैफिक वालों ने फोटो सहित चालान शर्मा जी के घर भेज दिया । शर्मा जी का bad luck देखिये कि चालान शरमाईन भाभी ने रिसीव किया। भाभी जी को चालान की भाषा और पेनाल्टी की राशि तो समझ नहीं आई लेकिन चालान के साथ लगी हुई, हेलमेट लगाए महिला की तरफ घूरते हुए शर्मा जी की फ़ोटो उन्हें खूब समझ आई।

परिणाम यह हुआ कि शर्मा जी को आज टिफिन में सिर्फ दो संतरे और कुछ अंगूर मिले । वैसे तो शर्मा जी नवरात्र का व्रत कल से शुरू होना था लेकिन उस महिला की महिमा से इस बार उनका उपवास नवरात्रि से एक दिन पहले ही शुरू हो गया है।

हरि बोल।

(विनय सिंह बैस)
शर्मा जी के साथ टिफ़िन शेयर करने वाले