डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला — नारी, महिला, स्त्री, औरत, वामा

March 9, 2018 0

प्राय: हमारे विद्वज्जन नारी, महिला, स्त्री, औरत तथा वामा में अन्तर नहीं कर पाते और अपनी रचनाओं में स्वच्छन्द रूप में इनका प्रयोग करते आ रहे हैं। इतना ही नहीं, प्रसिद्ध पुस्तकों, ग्रन्थादिक में भी […]

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला – गोष्ठी-संगोष्ठी, चर्चा-परिचर्चा, वार्त्ता, संवाद-परिसंवाद

March 7, 2018 0

‘गोष्ठी’ संस्कृत का स्त्रीलिंग संज्ञा-शब्द है। इस शब्द की रचना ‘गोष्ठ’ शब्द से हुई है। ‘गोष्ठ’ संस्कृत-भाषा का ‘पुल्लिंग’ (पुंलिंग) शब्द है। ‘गो’ शब्द में ‘स्था’ धातु है, जिसका अर्थ ‘ठहरना’ है। इस धातु के […]

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला में अनुराग-आसक्ति, प्रेम, प्रीति (प्यार), मोह-व्यामोह, स्नेह, प्रणय सद्भाव

March 2, 2018 0

अनुराग-आसक्ति :— आइए! पहले ‘अनुराग’ शब्द की व्युत्पत्ति को समझें :— यह संस्कृत का पुल्लिंग-शब्द है। इसमें ‘अनु’ उपसर्ग है और ‘रञ्ज्’ धातु में ‘घञ्’ प्रत्यय प्रयुक्त कर, ‘राग’ का सर्जन किया गया है। रञ्ज् […]

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला में जानिए आरोपी-आरोपित का सही प्रयोग

March 1, 2018 0

दीर्घ काल से ‘आरोपी’ शब्द-प्रयोग का प्रचलन है। यह प्रयोगधर्मिता अब एक ऐसा दृश्य प्रस्तुत करती है, जहाँ एक भेड़ के पीछे अरबों-खरबों की संख्या में भेड़ों का झुण्ड बिना जाने-समझे चला जा रहा है। […]

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला — तीन

February 25, 2018 0

रंग-विरंगा-रंग-बिरंगा/ रंगविरंगा-रंगबिरंगा यहाँ पर दो शब्द हैं, जो मिलकर ‘विशेषण’ नामक शब्दभेद का बोध कराते हैं। प्रायः प्रत्येक स्थान पर, प्रत्येक मनुष्य-द्वारा ‘रंग-बिरंगा’ शब्द का लेखन और उच्चारण किया जाता है और अधिकतर पुस्तकों में […]

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला : एक

February 23, 2018 0

आरती :– यह स्त्रीलिंग शब्द है, जिसका अर्थ है, किसी मूर्ति के चारों ओर सामने से दीपक को घुमाना। आरती किसी व्यक्ति -विशेष की नहीं की जाती प्रत्युत देवि-देव-विशेष की जाती है | शुद्ध अर्थात् […]

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला : सौन्दर्य और सौन्दर्य-बोध की अवधारणा

February 22, 2018 0

भाषा व्यक्तित्व को निखारती है और उसमें एक सुखद आकर्षण पैदा करती है। आइए, और अपने व्यक्तित्व को सँवारिए ! सौन्दर्य और सौन्दर्य-बोध की अवधारणा :— कोई भी कविता ‘सुन्दर’ अथवा ‘nice’, ‘beautiful’, ‘great’ नहीं […]

एक-से-बढ़कर-एक ‘अमूल्य रत्न’ के रूप में मेरे शिष्य!

December 29, 2017 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डे- इस मुक्त मीडिया के माध्यम से उन उदित-नवोदित, विकसित-विकासमान् हस्ताक्षरों की सर्जन प्रातिभ सामर्थ्य से जब साक्षात् करता हूँ, जो प्रकारान्तर से मेरे शिष्य रहे हैं, तब ऐसा प्रतीत होता है, मानो […]