★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
नरेन्द्र मोदी को आज (५ जनवरी) पंजाब मे पहुँचकर वहाँ की जनता के लिए कुछ चुनावी घोषणा भी करनी थी। उनकी सुरक्षा की सारी ज़िम्मादारी केन्द्रीय एजेंसियों पर थी; ‘मिनट-टु-मिनट’ का कार्यक्रम पहले से ही तय था। अचानक, मोदी का मार्ग उनकी एजेंसी ने बदल दिया। संयोगवश, मोदी के लिए बदला गया मार्ग उस दिशा की ओर का था, जिधर पहले से ही ख़ार खाये किसानों का एक समूह मोदी के पंजाब मे घुसने का विरोध कर रहा था; परिणामत: मोदी को अपने लाव-लश्कर के साथ आन्दोलनकारियों के विरोध के कारण उलटे पाँव लौटने पड़े थे।
अब इसे लेकर हमारे मोदी की निकटतम मन्त्री स्मृति ईरानी इसे ‘मोदी की हत्या’ की साज़िश से जोड़कर देख रही है, जबकि उसका वैसा सोच निन्दनीय है। गृहमन्त्रालय की ओर से इस विषय को फैलाते हुए, पंजाब-राज्यसरकार से ‘सुरक्षा-कारणों’ को लेकर रिपोर्ट मागी गयी है।
ऐसे मे, प्रश्न है– जिस प्रधानमन्त्री की सुरक्षा पर प्रतिदिन लाखों-करोड़ों रुपये ख़र्च किये जाते रहे हैं, उसकी सुरक्षा के प्रति सुरक्षाकर्मियों की भूमिका किस प्रकार की रही है?
आश्चर्य की बात है कि जो नरेन्द्र मोदी अकल्पनीय सुरक्षा-कवच के घेरे मे अपने ‘चुनावी उपक्रम’ करते आ रहे हैं, उनकी सुरक्षा मे छेद कैसे हो गया? इसके लिए पंजाब-सरकार कैसे उत्तरदायी है, यह विचारणीय बन जाता है।
इसी सिक्के का दूसरा पक्ष यह है कि ‘प्रधानमन्त्री’ के नाम से ‘अवैध’ चुनाव-प्रचार करनेवाले नरेन्द्र मोदी एक दल-विशेष (भारतीय जनता पार्टी) के मुखिया के रूप मे स्वयं को प्रस्तुत करते हुए, वह सब कहते सुने और देखे जाते हैं, जो किसी भी देश के प्रधानमन्त्री के लिए शोभनीय नहीं कहा जा सकता।
वास्तविकता यह है कि पंजाब मे दशकों से भारतीय जनता पार्टी का वुजूद नहीं दिख रहा है और पंजाब मे नरेन्द्र मोदी वहाँ चुनावी भाषण करने के लिए आयें, यह वहाँ के लोग को क़ुबूल नहीं है। इसे नरेन्द्र मोदी भी जानते हैं। यही कारण है कि पंजाब से पलायन करने की स्थिति को छिपाने के लिए नरेन्द्र मोदी ने एक पूर्वनियोजित चाल चलकर सारा ठीकरा सलीक़े से पंजाब की काँग्रेस-सरकार पर फोड़ दिया है।
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ५ जनवरी, २०२२ ईसवी।)