आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला

■ ‘दारा’ शब्द को समझें

इसका मूल शब्द ‘दार’ है, जो कि ‘दृ’ धातु का शब्द है। ‘दृ’ का अर्थ ‘विदारण करना’/’बीच मे से पृथक् करके दो अथवा अधिक टुकड़े करना’ होता है। इस धातु मे दो प्रत्यय हैं :– ‘णिच्’ और ‘अच्’। इस प्रकार ‘दार’ नामक स्त्रीलिंग-शब्द का सर्जन होता है। इसका भी अर्थ ‘पत्नी’ है। ‘दार’ पुंल्लिंग भी है, तब ‘दृ’ धातु मे ‘घञ्’ प्रत्यय जुड़ता है।

अब ‘दारा’ (पत्नी) शब्द की रचना के लिए उपर्युक्त ‘दार’ (स्त्रीलिंग) शब्द को ‘टाप्’ प्रत्यय से जोड़ लिया जाता है। इस प्रकार ‘दारा’ शब्द की उत्पत्ति हो जाती है।

‘दारा’ पुंल्लिंग-शब्द भी है, जिसका अर्थ ‘किनारा’/’तट’ है।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ९ दिसम्बर, २०२१ ईसवी।)