अध्यापिका निशा पाण्डेय की मंझे से गरदन कटी

पुलिस और ज़िला-प्रशासन इन दिनो अपने कर्त्तव्य से रहित दिख रहा है। आये-दिन पतंगबाज़ों के कारनामो से नगर की जनता परेशान है। कोई कहीं से किधर भी जा रहा हो तो उसे यह नहीं मालूम रहता कि कब किस पतंगबाज़ का मंझा उसकी गरदन को अपनी लपेट मे ले लेगा। इसी प्रकार की एक दु:खद घटना नैनी पुल, प्रयागराज के समीप-स्थित बोट क्लब की है।

मंझे से कटे दुपट्टे के हिस्से

बताया जाता है कि १३ मार्च को अपराह्न तीन बजे अलोपीबाग़-निवासिनी निशा पाण्डेय अपने घर अलोपीबाग़ से बोट क्लब के मार्ग से होकर कल्याणी देवी-स्थित अपनी एक परिचित के घर जा रही थीं। वे स्कूटी चला रही थीं और पीछे उनकी पुत्री कंजिका बैठी हुई थी।अचानक, बोट क्लब के पास एक मंझा उनकी गरदन मे आकर फँस गया, जब तक वे अपनी स्कूटी रोकतीं, उनकी गरदन के बायें और दायें भागों को वह जानलेवा मंझा रेतते हुए, काफ़ी गहराई तक काट चुका था, जिससे बहुत अधिक मात्रा मे रक्तस्राव हो चुका था। निशा पाण्डेय गले मे दुपट्टा लपेटी थीं; लेकिन उसके बाद भी उस दुपट्टे को दो जगहों से काटते हुए, वह धारदार मंझा गरदन में गहरा घाव कर गया था। उस समय उनकी पुत्री कंजिका ने बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए, कटे हुए हिस्से को दुपट्टे की पट्टी से बाँधकर रक्तस्राव होने से रोकने की कोशिश की थी; लेकिन रक्तस्राव होता रहा। कंजिका अपनी मा को तत्काल गऊघाट, मुट्ठीगंज-स्थित सुरभि हॉस्पिटल ले गयी, जहाँ उन्हें बारह टाँके लगाये गये थे।

ज्ञातव्य है कि निशा पाण्डेय भाषाविज्ञानी और समीक्षक आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पत्नी हैं और वे थरवई-स्थित स्वामी विवेकानन्द हायर सेकण्डरी स्कूल मे शारीरिक शिक्षिका हैं। घटना के समय उनके पति हिन्दीसाहित्य-सम्मेलन के वार्षिक अधिवेशन में थे। पिता को कोई व्यवधान और तनाव न मिले, इसका ध्यान करते हुए उनकी साहसी और बुद्धिमती बिटिया कंजिका ने उन्हे उक्त अप्रिय घटना की सूचना तक नहीं दी थी और अपने बल पर अपनी मा का समुचित उपचार कराकर उन्हें सकुशल घर ले आयी।

उल्लेखनीय है कि थानों मे इस प्रकार के प्रकरण से सम्बन्धित बड़ी संख्या में प्राथमिक दर्ज़ करायी जा चुकी हैं; तहरीरें दी जा चुकी हैं; किन्तु ज़िला-प्रशासन और पुलिस-प्रशासन के लिए कोई फ़र्क नहीं पड़ता।

आक्रोश के स्वर मे बिटिया कंजिका ने कहा, “जब किसी पुलिस-प्रशासन और ज़िला-प्रशासन या फिर मन्त्री, विधायक, सांसद आदि की बहू-बेटियों, पत्नियों के साथ वैसा घटेगा, तभी उनकी आँखें खुलेंगी।” कंजिका ने माँग की है कि जो भी पतंगबाज़ हैं, उन्हें रंगे हाथों पकड़कर उस व्यक्ति या फिर उनके मा-बाप से पाँच हज़ार रुपये का आर्थिक दण्ड लिया जाये या फिर छ: माह की कठोर कारावास की सज़ा दी जाये, अन्यथा आये-दिन लोग मंझे का शिकार होते रहेंगे।