जब ‘इलाहाबाद’ को १ नवम्बर को भारत की राजधानी कहलाने का गौरव मिला

बहुसंख्य प्रयागराजवासियोँ को मालूम नहीँ होगा कि १ नवम्बर को ही इलाहाबाद को एक दिन के लिए अपने देश ‘भारत’ की राजधानी बनाया गया था, तब देश परतन्त्र था। प्रयागराज-स्थित वह मिण्टो पार्क इसका जीवन्त साक्षी है, जिसका निर्माण तत्कालीन वायसराय लॉर्ड मिण्टो ने इलाहाबाद के दक्षिणी भाग मे यमुना नदी के किनारे-स्थित ‘सरस्वती घाट’ के समीप १९१० ई० मे कराया था।

७ जून,१८५७ ई० को दस दिनो के लिए सबसे पहले इलाहाबाद ही आज़ाद हुआ था और आज ही की तारीख़ मे एक दिन के लिए देश की राजधानी बनने का गौरव भी अर्जित किया था; मिण्टो (लार्ड मिण्टो) पार्क इसका साक्षी है। आज जहाँ मिण्टो पार्क है, उसी स्थान पर १ नवम्बर, १८५८ ई० को महारानी विक्टोरिया का शाही दरबार आयोजित किया गया था, जिसमे लॉर्ड अर्ल कैनिंग ने महारानी विक्टोरिया का घोषणापत्र पढ़कर सुनाया था, जिसमे एक घोषणा यह भी थी– इलाहाबाद को एक दिन के लिए परतन्त्र भारत का राजधानी बनाया जाता है; फलत: १ नवम्बर, १८५८ ई० को इलाहाबाद को एकदिवसीय राजधानी बनने का गौरव अर्जित हुआ था।

सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १ नवम्बर, २०२५ ईसवी।)