अनुभूति के गह्वर मे
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय••••••••••••••••••••••••••••••••••••• एक–हिरणी कनखी ताकती, चण्ट व्याध की ओर।सोच डूबता प्रश्न मे, होगी कब अब भोर।। दो–चंचरीक-चितवन चतुर, डोल रहा हर छोर।चपल चंचरी लख रही, प्रणय-सूत्र की ओर।। तीन–धर्मयुद्ध अब है कहाँ, […]