भाषा का पोषण की जगह शोषण करती पत्रकारिता
विश्व मे हिन्दी इकलौती ऐसी भाषा है जिसका अशुद्ध सम्भाषण लोग के लिए हास्य का विषय है और शुद्ध वाचन भी मूर्खतापूर्ण हँसी का विषय है। ग़लत बोलने पर वक्ता का मजाक उड़ाते हैं और […]
विश्व मे हिन्दी इकलौती ऐसी भाषा है जिसका अशुद्ध सम्भाषण लोग के लिए हास्य का विषय है और शुद्ध वाचन भी मूर्खतापूर्ण हँसी का विषय है। ग़लत बोलने पर वक्ता का मजाक उड़ाते हैं और […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय “नाम बड़े, पर दर्शन थोड़े” तब चरितार्थ होता है जब वस्तुस्थिति का प्रत्यक्षीकरण होता है। हम अपने ‘मुक्त मीडिया’ (सोसल/सोशल मीडिया) के माध्यम से उन लोग का भाषा, साहित्य, व्याकरण, […]