भाषा, व्याकरण तथा तथ्य की अनदेखी क्यों?

‘एक दिवसीय’ शुद्ध है?

‘अन्तर्राष्ट्रीय’ का अर्थ क्या है? यहाँ इसका प्रयोग उचित है?
‘चरित्र’ कोई ‘भौतिक’ वस्तु है, जो उसका ‘निर्माण’ होता हो? बड़ी संख्या मे वर्तनी और शब्दप्रयोग अशुद्ध दिख रहे हैँ तथा तथ्योँ मे विसंगति भी है। जीवन मे ‘अध्यात्म’ की महत्ता शीर्ष पर है, जिसके चिन्तन से ‘दर्शन’ विकसित होता है; तब कहीँ जाकर ‘हित का भाव’ उत्पन्न होता है।

जिस किसी व्यक्ति ने इस पोस्टर पर दिख रहे शब्दोँ को लिखकर दिया है, उसे ‘हिन्दीभाषा और व्याकरण’ का सर्वथा बोध नहीँ है। यह पोस्टर हमारे विद्यार्थियोँ के भविष्य के लिए पूर्णत: घातक है।

पोस्टर मे ‘प्रोफेसर’ और ‘डॉक्टर’ दिख रहे हैँ; परन्तु आयोजन के समय सब ‘गान्धी के तीन बन्दर’ बन जायेँगे; नैतिक साहस नहीँ रहेगा, जिसके बल पर तथाकथित आयोजक-आयोजिकाओँ को सबके सामने कह सकेँ– यह आयोजनपट्ट (पोस्टर) भाषा, व्याकरण तथा तथ्य की दृष्टि से निरर्थक है; इसे हटाया जाये।