
न्यूयॉर्क। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में बिना नाम लिए आतंकवाद पर दिए बयान से पाकिस्तान बौखला गया है। जयशंकर के संबोधन के बाद पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कहा कि भारत आतंकवाद के बारे में दुर्भावनापूर्ण आरोपों के जरिए पाकिस्तान को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि जयशंकर के बयान में महज आतंकवाद का जिक्र था, मगर पाकिस्तान का नाम नहीं लिया गया था।
भारत ने पाकिस्तान की इस प्रतिक्रिया को सीमा पार आतंकवाद की उसकी लंबी प्रथा का कबूलनामा बताया है, क्योंकि विदेश मंत्री जयशंकर की ओर से यूएनजीए में उसका नाम नहीं लिया गया था, फिर भी आतंकवाद पर उसने जवाब दिया। भारत ने कहा कि यह दिखाता है कि एक पड़ोसी, जिसका नाम नहीं लिया गया था, ने फिर भी जवाब देने और सीमा पार आतंकवाद की अपनी लंबे समय से चली आ रही गतिविधियों को स्वीकार करने का विकल्प चुना।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में सेकेंड सेक्रेटरी रेन्ताला श्रीनिवास ने 28 सितंबर को भारत के जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कहा, ‘‘पाकिस्तान की प्रतिष्ठा अपने आप में सब कुछ बयां करती है। आतंकवाद में उसकी छाप कई भौगोलिक क्षेत्रों में स्पष्ट दिखाई देती है। यह न सिर्फ अपने पड़ोसियों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक खतरा है। कोई भी तर्क या झूठ कभी भी आतंकवादियों के अपराधों को छुपा नहीं सकता!’’
जयशंकर ने 27 सितंबर को यूएनजीए की आम बहस में अपने संबोधन के दौरान कहा था, “बड़े अंतरराष्ट्रीय आतंकी हमलों के तार उसी एक देश से जुड़े होते हैं। भारत आजादी के बाद से ही आतंकवाद की चुनौती का सामना कर रहा है।’’
जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उन देशों की साफ तौर पर निंदा करने का आग्रह किया था, जो खुले तौर पर आतंकवाद को स्टेट पॉलिसी मानकर चलते हैं, जहां बड़े पैमाने पर टेरर सेंटर चलाए जाते हैं और आतंकवादियों का सार्वजनिक रूप से महिमामंडन किया जाता है। उन्होंने आतंकवाद की फंडिंग रोकने और प्रमुख आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत पर बल दिया और चेतावनी दी कि पूरे टेरर इकोसिस्टम पर लगातार दबाव डाला जाना चाहिए और जो लोग आतंकवाद के प्रायोजकों का समर्थन करते हैं, उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
–शाश्वत तिवारी