कब तक पालते रहोगे, सूर्यकुमार यादव को?
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
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अब तक का सर्वाधिक निर्लज्ज और निखट्टू कप्तान सूर्यकुमार यादव है, जोकि शर्मनाक पराजय के बाद भी च्यूइंगम चबाते हुए, बेशर्म की तरह से दाँत निकाले रहता है। वह अब क्रीज़ पर टिक नहीँ पाता, फिर भी उसके चेहरे पर ‘अफ़्सोस’ का ज़रा भी भाव नहीँ दिखता; उस पर तुर्रा यह कि वह कुपात्र मुख्य प्रशिक्षक गौतम गम्भीर से चिपके रहता है। उसके स्थान पर हार्दिक पण्ड्या को कप्तान बनाया जाना चाहिए। गौतम गम्भीर को बाहर का रास्ता दिखाना अब ज़रूरी हो गया है।
विफल बैटर ‘आया-गयाराम’ शुभमन गिल के प्रति चयनसमिति के सदस्य इतने मेहरबान क्योँ दिखते हैँ? वह टेस्ट मैच के लिए ही उपयुक्त है। टी-२० के लिए सटीक बैटर :– यशस्वी जायसवाल, ईशान किशन, सरफ़राज और वैभव सूर्यवंशी को अवसर क्योँ नहीँ दिया जा रहा है? टी-२० के पहले मैच मे गेंदबाज़ी और बल्लेबाज़ी कर, भारतीय दल ने जिस तरह से दक्षिणअफ़्रीकी दल को पराजित किया था, उससे लग नहीँ रहा था कि अगले मैच मे दक्षिणअफ़्रीकी गेंदबाज़ उसकी चड्ढी तक उतार लेँगे। बहरहाल, अब बड़े बदलाव का समय आ गया है। उन्हीँ खेलाड़ियोँ को स्थान देना चाहिए, जो उत्तम कोटि के क्षेत्ररक्षण भी करना जानते होँ।
गेंदबाज़ी मे लम्बे समय से मोहम्मद शमी की उपेक्षा क्योँ की जा रही है? स्पिन-गेंदबाज़ युजवेन्द्र चहल को कबतक बैठाये रखा जायेगा?
प्रत्येक संस्करण के लिए अलग-अलग कप्तान की व्यवस्था करनी होगी।
बेहतर रहेगा कि प्रत्येक संस्करण के लिए अलग-अलग खेलाड़ी रखे जायेँ, जिससे कि प्रत्येक संस्करण के दल मे पारस्परिक प्रतिस्पर्द्धा दिखे और नवोदित प्रतिभाओँ को अवसर मिले। यह नियम महिला-क्रिकेटदल पर भी लागू किया जाना चाहिए।
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १२ दिसम्बर, २०२५ ईसवी।)