एक समीचीन अभिव्यक्ति

May 6, 2018 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय मेरे दोस्त! तुम्हारा चेहरा आज दल-परिवर्त्तन करता दिख रहा है। तुम्हारी अतिरिक्त महत्त्वाकांक्षा की गाथा पैवन्द लगीं चादरें सुना रही हैं। लोलुपता और लिप्सा तुम्हारे चरित्र की पटकथा को आमिशाषी बना रही […]