घायल मां को गोद में लिए भटकता रहा पुत्र नहीं मिली एंबुलेंस नहीं मिला स्ट्रेचर

  • घायल मां को गोद में लिए भटकता रहा पुत्र नहीं मिली एंबुलेंस नहीं मिला स्ट्रेचर
  • जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली की तस्वीर आई सामने ।
  • 2 घंटे तक फोन मिलाता रहा पुत्र जब नही आई एंबुलेंस तो प्राइवेट एंबुलेंस से घायल मा को जिला अस्पताल लाया पुत्र ।
  • स्ट्रेचर के ना मिलने पर घायल मां को गोद मे लेकर भटकता रहा पुत्र ।
  • बेनीगंज कोतवाली इलाके के महीनकुंड के रहने वाले रामसनेही की पत्नी मधु हुई थी घायल
  • कैंसर की बीमारी भी है मधु को इलाज के लिए पुत्र लाया था जिला अस्पताल ।

हरदोई‘ स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली की तस्वीरें सामने आई हैं।यहां के अधिकारियों की लापरवाही के चलते मरीजों को न तो एंबुलेंस मिल रही है और ना ही स्ट्रेचर मिल रहे हैं जिसके चलते एक पुत्र अपनी बीमार और घायल मां को गोद में लेकर भटकता रहा। 2 घंटे तक उसने फोन किया ना तो उसे एंबुलेंस मिली और ना ही स्ट्रेचर मिल सका जिसके बाद गोद में लेकर एक पुत्र अपनी बीमार मां को जिला अस्पताल में इलाज के लिए लाया और भर्ती कराया जहां पर उसका इलाज किया जा रहा है।
             प्रदेश सरकार मातहतों को स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति संवेदनशीलता बरतना के कड़े निर्देश देती रहती है लेकिन अधिकारी ऐसे आदेशों को लगातार हवा में उड़ाते दिखते है।बदहाल स्वास्थ सेवाओं की लगातार तस्वीरें सामने आती रहती है।ऐसा ही एक ताजा मामला हरदोई के जिला अस्पताल में देखने को मिला है जहां पर एक पुत्र अपनी बीमार और घायल मां को स्ट्रेचर के अभाव में गोद में लेकर दौड़ता हुआ इलाज के लिए जिला अस्पताल लाया जहां उसे भर्ती कराया गया है।
         कोतवाली बेनीगंज के महीनकुंड गांव की निवासी मधु दीक्षित जिनकी उम्र करीब 58 साल की है 2 दिन पहले अपने घर मे ही फिसल कर गिर गई थी जिसके चलते उनके सर में गंभीर चोट आई थी।मधु के पुत्र मोनू दीक्षित पुत्र राम स्नेही दीक्षित ने बताया कि उसकी मां को कैंसर भी है उसे चोट लगी तो उसने पहले स्थानीय स्तर पर इलाज कराया लेकिन जब फायदा नहीं हुआ तब वह उसे जिला अस्पताल लाया।
            मोनू दीक्षित का आरोप है उसने लगातार 2 घंटे तक एंबुलेंस को फोन किया और उधर से जवाब मिलता रहा कि कुछ ही देर में एंबुलेंस पहुंचेगी लेकिन जब 2 घंटे तक एम्बुलेंस नही आई तो वह प्राइवेट एंबुलेंस के माध्यम से अपनी माँ को बेनीगंज से जिला अस्पताल के लिए लेकर आया।यहां जिला अस्पताल के गेट पर एम्बुलेन्स कर्मी उसकी मां को छोड़कर चला गया। जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड जाने के लिए जब तक नहीं मिला तो उसको गोद में उठाकर दौड़ता हुआ इमरजेंसी तक ले गया।हालांकि अस्पताल के गेट पर ही रोगी सहायता केंद्र स्थापित जिसमें कई कर्मचारी इसीलिए तैनात किए गए हैं ताकि वह मरीजों की सहायता कर सकें लेकिन जिले में अधिकारियों की लापरवाही के चलते स्वास्थ्य सेवाओं का जहां बंटाधार हो रहा है वही रोगी सहायता केंद्र भी सफेद हाथी साबित हो रहा है।जिला अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली की तस्वीर यह बयां कर रही है कि अधिकारी कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों के प्रति कितना लापरवाह हैं।