पुष्प-पंखुरियाँ

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
(प्रख्यात भाषाविद्-समीक्षक)

१- लहरों का उठना-गिरना
नदी का चंचल किनारा
गीत गाते पत्थर।
२- आबो दाना सन्दिग्ध
मस्ती और फाँके
समर्थन-मूल्य छल-कपट के घेरे में।
३- रूप-रुपया-रुतबा
खद्दरधारी की गली
सुर्ख़ियों में बलात्कारी नेता।
४- भारत का संसद-सत्र
गाँधी जी मुँह बिचकाये
बाँहों में बाँह लिये नेता-नेताइन।
५- मुजरे की महफ़िल
संगीत नदारद
साधना खण्डित।
६- कसमसाता दिन
कचकचाती रात
गोरी कर रही सोलहों श्रृंगार।
७- मुँडेर पर कागा का काँव-काँव
बच्चे बरसाते ढेला
काका की छतरी में छेद।
८- कुछ उनकी
कुछ मेरी
भौजाई सकल गाँव की।
९- खाप पंचायती फ़रमान
नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार
स्थिति नियन्त्रण में; कोई अप्रिय घटना नहीं।
१०- विधवा ने शादी रचाई; पड़ोसन की खुसुर-फुसुर
पड़ोसन की बेटी भाग गयी
ख़बर सुर्ख़ियों में।


(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, इलाहाबाद; १७ जुलाई, २०१८ ईसवी)