ब्लॉक प्रमुख के पद पर 7000 रूपए मानदेय के लिए इतनी मारामारी क्यों ?

रिपोर्ट- पी. डी. गुप्ता


*कछौना(हरदोई):* ब्लाक प्रमुख को वर्तमान में सरकार की तरफ से मानदेय के तौर पर सिर्फ ₹7000 दिए जा रहे हैं । ब्लॉक मुख्यालय पर उनके लिए छोटा ऑफिस दिया जाता है। इसके अलावा सरकार से ब्लॉक प्रमुख को किसी तरह की कोई सहूलियत नहीं दी जाती है । लेकिन विकास योजनाओं में निर्गत धनराशि में कमीशन का रेट फिक्स होता है । इसी कारण इस पद पर कब्जा करने के दावेदार सभी राजनीतिक हथकंडा बनाते हैं ।

ताजा उदाहरण विकासखंड कछौना में पिछड़ी जाति के आरक्षण के चलते संडीला विधायक राजकुमार अग्रवाल के समर्थन से गाजू क्षेत्र पंचायत सदस्य रामरती निर्विरोध ब्लॉकप्रमुख बनाई गई। उस समय निर्विरोध ब्लॉक प्रमुख बनाने में पूर्व राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल जी ने अहम भूमिका निभाई थी। विपक्षी विधायक के सगे भाई पूर्व ब्लाक प्रमुख अशोक अग्रवाल ने राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल की बात का सम्मान रखा लेकिन सहकारिता चुनाव में फिर दोनों भाई आमने-सामने अपने-अपने समर्थकों के साथ मैदान में कूद पड़े जहां पर पूर्व ब्लाक प्रमुख अशोक अग्रवाल को हार का सामना करना पड़ा। यहीं से दूरियां बढ़ती चली गई और ब्लाक प्रमुख के अविश्वास की रूपरेखा तैयार हो गई जिसके चलते पूर्व ब्लाक प्रमुख ने क्षेत्र पंचायत सदस्य द्वितीय संगीता देवी पत्नी गौतम कनौजिया के पक्ष में क्षेत्र पंचायत सदस्यों का खेमा खड़ा किया जिसकी नींव होली मिलन समारोह कार्यक्रम से शुरुआत हो गई। भाजपा पदाधिकारियों की अंतर्कलह जगजाहिर हो गई। पूर्व ब्लाक प्रमुख अशोक अग्रवाल ने जिला अधिकारी के समक्ष 42 पंचायत सदस्यों के साथ अविश्वास प्रस्ताव के लिए शपथ प्रमाण प्रस्तुत किया । उपजिलाधिकारी संडीला की उपस्थिति में चुनाव की तारीख तय की गई । तारीख 25 मई को चुनाव प्रस्तावित है । चूंकि दोनों पक्ष ताकतवर है इसलिए दोनों पक्ष साम, दाम, दंड और भेद से ब्लॉक प्रमुख पद छीनने में जुटे हैं । ऐसे में दोनों पक्षों द्वारा अपने पाले में अधिक से अधिक बीडीसी सदस्य गण रखने के लिए जी तोड़ मेहनत चल रही है । दोनों पक्ष बीडीसी सदस्य गणों की चौखट पर सुबह सायं निरंतर दस्तक दे रहे हैं । जिसके लिए लाखों रुपए पानी की तरह खर्च किया जा रहा है । बीडीसी सदस्यों को दावत, आर्थिक सहायता, दूरदराज ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों की यात्रा का पैकेज दिया जा रहा है । संघर्ष दिन पर दिन बढ़ता चला जा रहा है।

एक पक्ष के समर्थन में बिलग्राम मल्लावां विधायक आशीष सिंह आशू खुलकर उतर पड़े हैं । वहीं भाजपा जिलाध्यक्ष व क्षेत्रीय विधायक बैक डोर से मदद कर रहे हैं । मिली जानकारी के अनुसार दर्जनों बीडीसी सदस्य लापता हो गए हैं ।

नाम न छापने की शर्त पर बीडीसी सदस्यों ने बताया कि सारा खेल विकास के लिए आबंटित होने वाली धनराशि के बंदरबांट का है। ब्लॉक प्रमुख का 5% कमीशन, खंड विकास अधिकारी का 5% कमीशन, तकनीकी सहायक का 3% कमीशन, कार्य प्रभारी ब्लॉक बाबू व जिले में आईईएस विभाग का 2% कमीशन फिक्स है । कुल मिलाकर स्वीकृत कार्य की धनराशि में लगभग 20% धनराशि का बंदरबांट हो जाता है। क्षेत्र में रुतबा जमाने और कमीशनखोरी के चलते सिर्फ 7000 मानदेय के लिए इतनी मारामारी होती है । वहीं क्षेत्र पंचायत सदस्यों को कोई भी मानदेय नहीं मिलता है। ऐसे में क्षेत्र पंचायत सदस्य द्वारा ग्रामों का विकास कैसे संभव है?