‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का ‘वितण्डावाद’!

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय


प्रश्न हैं– भारतीय सेना के ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का वीडियो ‘सार्वजनिक’ किसने और क्यों किया है? क्या भारतीय सेना के सारे सैनिक और शीर्षस्थ अधिकारी इतने अविश्वसनीय, दुर्बल, शिथिल तथा बौने पड़ चुके हैं, उन्हें ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का सुबूत देना पड़ रहा है? उस समय उनकी चेतना कहाँ चली गयी थी, जब सत्तापक्ष की ओर से अकस्मात् विस्फोटक समाचार ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का राजनीतीकरण करते हुए, सार्वजनिक किया गया था और तब लोकतन्त्र के प्रतिनिधि राजनीतिक दलों और देश के नागरिकों की ओर से ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की विश्वसनीयता पर प्रश्न खड़े किये गये थे?

सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक किया अथवा नहीं किया था, इस पर सत्तापक्ष राजनीतिक लाभ लेनेवाला कौन होता है? क्या देश की सेना भी ‘भारतीय जनता पार्टी’ की है?
जिस समय ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ अभियान को अन्तिम रूप देने और उसके परिणाम-प्रभाव को ‘राजनीतिक सोच’ के साथ सार्वजनिक किया गया था, उस समय सेना के गोपनीय प्रकोष्ठ के अधिकारी कहाँ आराम फ़रमा रहे थे? इससे ज़ाहिर होता है, हमारी सेना को स्वयं के शौर्य पर भरोसा नहीं है अथवा अब वह भी अपने कार्यों को सार्वजनिक कर, अपनी पीठ थपथपवाने का लोभ-संवरण नहीं कर पा रही है अथवा सत्तापक्ष के दबाव में है। यदि नहीं तो ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की वीडियोग्राफ़ी कराकर ‘आज’ उसे सार्वजनिक करने की आवश्यकता क्यों आ पड़ी है, जबकि देश की जनता उसे भूल चुकी थी? क्या इसलिए कि कुछ ही माह-बाद कतिपय राज्यों के चुनाव और वर्ष २०१९ के लोकसभा चुनाव में वर्तमान सत्तापक्ष इसे चुनावी हथकण्डा बनाकर सुनियोजित तरीक़े से प्रतिपक्षी दलों को घेरना चाहता है; क्योंकि उसके ‘विकास’, ‘हिन्दुत्व’, ‘राममन्दिर’, दलित राजनीति’, ‘आरक्षण’, ‘पदोन्नति में आरक्षण’ आदिक के चेहरे घृणित और समाजविभाजक तथा गृहयुद्ध-प्रेरक के रूप में अब सामने आ चुके हैं और अब वह ‘मुद्दाविहीन’ है।
वस्तुस्थिति जो भी हो, सेना अपनी गोपनीयता ‘नंगी’ करने के लिए ‘स्वयं’ उत्तरदायी है। इस विषय को तो ‘सेना-न्यायालय’ में प्रस्तुत कर ज़िम्मादार सेनाधिकारियों को कठघरे में लाना चाहिए; उनका ‘कोर्ट मार्शल’ करना चाहिए; साथ ही इस कुकृत्य को कर रहे मीडियावालों को भी न्यायालय में घसीटना चाहिए। इससे सेना अपनी विश्वसनीयता घटा चुकी है। सेना के अधिकारी इस तथ्य का उद्घाटन क्यों नहीं करते– किसके इशारे पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का वीडियो देश का समूचा मीडियातन्त्र आज ‘सत्तापक्ष का प्रवक्ता’ बनकर कर प्रदर्शित कर रहा है?
कहीं ऐसा तो नहीं, इसे मीडियावालों को ख़रीदकर अथवा धमकी देकर उक्त वीडियो को अप्रत्याशित कार्यक्रम के रूप में उनसे प्रदर्शित कराया जा रहा है? जब आरम्भ में, ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ समाचार को ‘नमक-मिर्च’ के साथ दिखाया जा रहा था तब उसका श्रेय स्वयं ‘नरेन्द्र मोदी’ ले रहे थे।

अब मैं यक्ष प्रश्न करता हूँ– ६३६ दिनों के बाद देश के मीडिया के ठीकेदार एक सुर में एक-जैसा ‘सरकारी तर्क’ प्रस्तुत करते हुए, ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का वीडियो क्यों दिखा रहे हैं? यहीं एक और प्रश्न है— क्या भारतीय सेना का राजनीतिकरण किया जा रहा है? समझ नहीं आ रहा है, हमारे सेनाधिकारी अपने मार्ग से भटक क्यों रहे हैं?
जय जवान-जय भारत।
(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, २८ जून, २०१८ ईसवी)