कमीशनखोरी, केंद्र प्रभारियों व बिचौलियों के गठजोड़ के आगे किसान असहाय

*कछौना (हरदोई):* शासन के लाख प्रयास के बावजूद भी आम किसान गेंहू खरीद केंद्रों पर नही पहुंच पा रहे हैं। प्रशासन की कमीशनखोरी, केंद्र प्रभारियों व बिचौलियों के गठजोड़ के आगे किसान मार्केट में आढ़तियों के हाथ अपनी उपज को औने-पौने दाम में बेचने को विवश है।

लाख शिकायतों के बाद भी कोई प्रभावी कदम न उठाए जाने के कारण किसान मायूस है। किसानों को कहीं बारदाना नही है तो कहीं माल लोडिंग नही हो पा रहा है, कहकर केंद्र प्रभारी किसान को टरका देते हैं। वहीं किसान कड़ी धूप, बारिश और कड़ाके की सर्दी की परवाह किये बगैर किसानों ने अपनी मेहनत से देश को अन्न की उपज दी है लेकिन सरकारें केवल किसानों की आय दुगुनी करने का ढिंढ़ोरा पीट रहीं हैं।

स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों की फ़ाइल धूल चांट रहीं हैं। जिसमें किसानों को उत्पादन, लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य दिए जाने की बात कही गई है। लेकिन यह सिफारिशें सरकारी फाइलों में दबकर ही रह गई हैं। भारतीय जनता पार्टी द्वारा आम चुनाव में घोषणा पत्र हवा-हवाई साबित हुआ है।

बरवा निवासी किसान अंशू सिंह ने बताया कि लायकखेड़ा केंद्र पर वह दस दिनों से ट्राली खड़ी किये है लेकिन केंद्र प्रभारी द्वारा बताया जा रहा है कि मेरा माल जब यहां से उठ जाएगा तभी किसानों का तौल पायेंगे। वहीं केंद्र प्रभारी द्वारा चहेते किसानों का घरों से गेंहू तौला जा रहा है। केंद्र पर किसानों की तौल बन्द है। किसी भी केंद्र पर टोकन सुविधा सही रूप से नही चल रही है। खानापूर्ति के नाम पर टोकन दे दिए जाते हैं। किसान खुले आसमान के नीचे अपनी उपज का गेंहूँ डालने को विवश है जो कभी भी बारिश में भीग सकता है।

किसान ओमप्रकाश मिश्रा ने बताया कि केंद्र प्रभारी की भूमिका नाम मात्र की है। यहां ठेकेदार (प्राइवेट कर्मी) ही हावी है। उनके राजनैतिक संरक्षण व दबंगई के कारण स्थानीय किसान उनका विरोध करने में हिचकते हैं।
किसान श्रीपाल सिंह ने बताया कि अगर प्रशासन ईमानदारी से गेंहूँ बिक्री किसानों का सत्यापन करा ले तो पूरी पोल खुल जाएगी कि किस तरह वह अपने चहेते किसानों के खाते पर गेंहूँ बिक्री दर्शा रहे हैं। उनसे पेमेंट वापस निकलवा लेते हैं। बाजार और केंद्र पर काफी अंतर होने के कारण बिचौलिए हावी हैं जो केंद्र प्रभारी को 50 रुपये से लेकर 70 रुपये प्रति कुन्तल सुविधा शुल्क दे रहे हैं। वहीं केंद्र प्रभारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि किराया, हलटिंग, पल्लेदारी, लोडिंग में शासन द्वारा देय धनराशि से ज्यादा धनराशि देनी पड़ती है, वहीं सचिव, केंद्र प्रभारी, डिप्टी आरएमओ, एडीएम तक कमीशन तय है। यहाँ तक कि बारदाना लेने में भी सुविधा शुल्क देना पड़ता है। कुल मिलाकर प्रति कुन्तल 40 रुपये अतिरिक्त खर्चा आ रहा है, जिसके चलते सुविधा शुल्क लेना मजबूरी है।

किसानों के दर्द को जानने के लिए क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठन, राजनैतिक पार्टियां, किसान संगठन मूकदर्शक बने हुए हैं। ग्राम पंचायत स्तर पर तैनात किसान सहायक भी किसानों का गेंहूँ खरीदने के लिए कोई प्रयास नही कर रहे हैं। केंद्रों पर किसानों को कोई मूलभूत सुविधाएं मयस्सर नही हैं। पेयजल व छाया भी नही है। छुट्टी के दिन भी खरीद केंद्र खुले रखने का प्रावधान है परन्तु कोई भी केंद्र प्रभारी केंद्र को खोलना मुनासिब नही समझता है। 15 जून तक अनवरत गेहूँ खरीद होनी है लेकिन लक्ष्य कागजों पर गुपचुप तरीके से पूरा किया जा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता मैग्सेसे आवर्ड से सम्मानित डॉ० संदीप पाण्डेय ने कहा कि पूरे जिले में गेंहूँ ख़रीद की उच्चस्तरीय जांच के लिए मुख्यमंत्री को पत्र के माध्यम से अवगत कराएंगे। निराकरण न होने की दशा में धरना-प्रदर्शन भी किया जाएगा।


रिपोर्ट- पी.डी. गुप्ता