नारियों को मनोरंजन की वस्तु मत बनाइए

मोहम्मद की पत्नियों पर फिल्म क्यों नहीं?

कोमल गुप्ता –


मैं फिल्मों को मनोरंजन के साधन से अधिक महत्त्व नहीं देती। लेकिन प्रश्न है कि, ‘जोधा, मीरा, राधा, पद्मावती, सीता ही क्यों?
द विन्ची कोड में क्राइस्ट के पुत्र जन्म पर बहुत कुछ है। एक सांस में पढ़ी पूरी नॉवेल, इतनी रोचक है। उस पर फिल्म क्यों नहीं? जानने दीजिये दर्शकों को कि ‘मटके में यीशु का खून’ ले जाने का असली अर्थ क्या है।
मोहम्मद की कमसिन पत्नियों पर फिल्म क्यों नहीं?
50 साल के बूढ़े और 10 साल की बच्ची के संबंध समाज के हर वर्ग का ध्यान आकर्षित करेंगे। कोई घृणा करेगा और कोई रोमांचित होगा, पर देखेंगे सब।
आप निष्पक्ष भाव से फिल्म बनाएंगे तो हम भी निष्पक्ष भाव से ही देखेंगे।
आप हमारी प्रातः स्मरणीय नारियों को मनोरंजन की वस्तु बनाएंगे तो हम आपको हँसते-हँसते भाड़ में जाने की सलाह देंगे।
ज्ञानियों के लिए विशेष: बहस करने के लिए मैटीरियल जुटाने को भी फिल्म मत देखना।