इलाहाबाद में कवि-सम्मेलन सम्पन्न

‘कृष्ण चन्द्र सेवा समिति’ एवं ‘अखिल भारतीय सांस्कृतिक संस्थान’ के संयुक्त तत्त्वावधान में ४ मार्च, २०१८ ई० को तुलारामबाग़, इलाहाबाद में वार्षिक कविसम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन की अध्यक्षता भाषाविद् डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने की। साहित्यकार डॉ० प्रदीप चित्रांशी मुख्य अतिथि थे तथा कवि-कथाकार कैलाशनाथ पाण्डेय विशिष्ट अतिथि।

आरम्भ में अध्यक्ष ने दीप-प्रज्वलन और सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर, कविसम्मेलन को गति देने का संकेत किया।
ओमप्रकाश श्रीवास्तव ‘दार्शनिक’ ने होली की रंगीनियों को सरेआम करते हुए सुनाया– गले मुझको लगा लो, ऐ दिलदार होली में। मुझे दिल की लगी तो, ऐ दिलदार होली में। संचालक शिवराम उपाध्याय ‘मतवाला’ ने अपने मतवालेपन का परिचय इस रूप में दिया– बीवी घर की शान है, साली रस की बेलि। बिन साली तोशक पलंग नीरस लागे केलि। डॉ० प्रदीप चित्रांशी ने सुनाया– थोड़ी-थोड़ी आशिक़ी, थोड़ा-थोड़ा प्यार। समय देखकर कीजिए , मौसम के अनुसार।

 डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने ग़ज़ल पेश कीसदियों से भटकती इक तलाश लिखता हूँ, हवा पानी आँधी और बतास लिखता हूँ।
विवेक सत्यांशु ने सुनाया– रात के सन्नाटे को चीरती है, कुत्ते के भौंकने की आवाज़।

कैलाशनाथ पाण्डेय ने वासन्तिक दृश्य प्रस्तुत किया– मीत! शीत बीत गयी, अब वसन्त आ गया। डॉ० वीरेन्द्र तिवारी ने सुमधुर चैता सुनाकर वातावरण को होलिकामय बना दिया था। डॉ० इन्दुप्रकाश मिश्र ने अवधी रचना का पाठ कर शृंगाररस की वर्षा की। शैलेन्द्र चौधरी ने अपनी चिर-परिचित नाटकीय शैली में श्रोताओं का मनोरंजन किया। इस सांस्कृतिक आयोजन में संरक्षक डॉ० राज कुमार शर्मा, आयोजक-द्वय अरुण श्रीवास्तव और शैलेन्द्र श्रीवास्तव की विशेष भूमिका थी।