पुलिसतन्त्र की कार्यप्रणाली में अब आमूल-चूल बदलाव हो

सार-संक्षेप 0—-

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

देश के पुलिस-तन्त्र की कर्म-पद्धति में आमूल-चूल बदलाव की ज़रूरत है। ग़लत लोग पकड़े जाते हैं; ग़लत मुठभेड़ होता है; एफ०आइ०आर० तक नहीं लिखे जाते; ग़रीब-असहायजन को प्रताड़ित किया जाता है; ग़लत आरोप लगाकर बन्दी बना लिया जाता है; छोटे अपराध को बढ़ाचढ़ाकर ‘बड़ा’ रूप दे दिया जाता है; रिश्वत लेकर निरपराध को फँसा दिया जाता है; रिश्वत लेकर जघन्य कृत्य करनेवालों को छोड़ दिया जाता है आदिक।

इस विषय पर सुझाव-सहित सप्रमाण मैं निकट भविष्य में लिखूँगा।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २९ जून, २०२० ईसवी)