रोमांचक मैच मे भारत ने स्पेन को २-० से पराजित किया

■ विश्वकप पुरुष-हॉकी― २०२३ प्रतियोगिता

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

भारत अपने देश मे विश्वकप पुरुष-हॉकी-प्रतियोगिता आयोजित करनेवाला विश्व का प्रथम देश बन चुका है। पहली प्रतियोगिता वर्ष १९८२ मे बम्बई, दूसरा वर्ष २०१० मे दिल्ली तथा तीसरा वर्ष २०१८ मे ओडिशा मे आयोजित की गयी थी। चौथा आयोजन १३ जनवरी, २०२३ से ओडिशा मे आरम्भ हो चुका है। इस तरह से भारत मे विश्वकप पुरुष-हॉकी-प्रतियोगिता का लगातार दो बार आयोजन किया जा चुका है।

विश्वकप पुरुष-हॉकी-प्रतियोगिता― २०२३ का आयोजन ओडिशा के अनेक स्टेडियम मे १३ जनवरी से २९ जनवरी, २०२३ ई० तक खेला जायेगा, जिसमे कुल १६ देशों के खिलाड़ीदल शामिल हैं। इन १६ दलों को ४-४ के ग्रुप मे बाँटा गया है। भारत को ग्रुप डी मे स्थान दिया गया है।

२३ जनवरी से शुरू की गयी प्रतियोगिता मे चार मैच खेले गये थे :― पहला मैच अर्जेण्टीना और दक्षिणअफ़्रीका के बीच खेला गया था, जिसमे अर्जेण्टीना ने दक्षिणअफ़्रीका को १-० से हरा दिया था, जबकि दूसरे मैच मे ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस को ८-० से पराजित किया था। तीसरे मैच मे इंग्लैण्ड ने वेल्स को ५-० से शिकस्त दी थी।

इस आयोजन का चौथा मैच भारत और स्पेन के बीच हुआ था, जिसमे भारत स्पेन को २-० से पराजित कर, दो अंकों के साथ ‘ग्रुप डी’ की अंक-तालिका मे दूसरे स्थान पर पहुँच चुका है, जबकि इंग्लैण्ड पाँच अंकों के साथ इसी ग्रुप मे पहले स्थान पर है। इस मुक़ाबले के पहले क्वार्टर (१५ मिनट) मे शुरू के ३ मिनट तक स्पेन का दबदबा दिखता रहा; परन्तु उसके बाद हरमनप्रीत सिंह के नेतृत्व मे भारतीय दल ने ‘स्कूप’ (स्टिक से गेंद को उछालना) स्पेनी गोल की ओर करके पेनाल्टि कॉर्नर लेते हुए गोल कर दिया था। भारतीय दल का आक्रमण और बचाव इतना जानदार रहा कि दो मिनट के अन्तराल पर भारत को दो पेनाल्टि गोल मिले थे। जरमनप्रीत सिंह गोल करने मे नाकाम रहे, जबकि भारतीय उपकप्तान, ओडिशा के ही रोहिदास ने इस विश्वकप प्रतियोगिता मे भारत के लिए पहला ‘रीबाउण्ड’ गोल किया था। इस प्रकार भारत स्पेन के विरुद्ध १-० की अग्रता (बढ़त) ले ली थी। इसके शीघ्र बाद भारत को तीसरा पेनाल्टि कॉर्नर भी मिला, परन्तु गोल मे तब्दील (परिवर्त्तित) न हो सका।

पहला क्वार्टर भारत के पक्ष मे दिखता रहा। भारतीय खिलाड़ी आक्रमण करते रहे और बचाव भी। स्पेन के ही ‘हाफ़’ मे भारतीय खिलाड़ी खेलते रहे, जिसका दबाव स्पेनी खिलाड़ियो के चेहरे पर साफ़ नज़र आ रहा था। स्पेन के आक्रामक खिलाड़ी कुनिल पेपे को इस क्वार्टर के पूरे होने के २.८५ सेकण्ड-पहले बाधा पहुँचाने (टैकिल) के कारण ‘हरे रंग का कार्ड’ (ग्रीन कार्ड)दिखाया गया था। कप्तान हरमनप्रीत सिंह, जरमनप्रीत सिंह, अभिषेक, नीलकान्त शर्मा, ललित उपाध्याय, आकाशदीप सिंह, वरुण तथा सुरजीत का आक्रमण देखते ही बन रहा था। भारतीय दल का आक्रामक खेल ऐसा था कि वह पहले क्वार्टर मे ही दो गोल और कर सकता था; लेकिन अपनी ही ग़लतियों के चलते वैसा न कर सका था।

दूसरा क्वार्टर शुरू हो चुका था। उसके समाप्त होने मे ३ मिनट ही रह गये थे कि स्पेन को एक पेनाल्टि कॉर्नर मिल गया; परन्तु उसे भारतीय गोलरक्षक कृष्ण पाठक ने स्टिक लगाकर दिशाहीन (डिफ़लेक्ट) कर दिया था। उसके ठीक एक मिनट-बाद आक्रामक खेल तथा गेंद और स्टिक का संतुलन प्रदर्शित करते हुए, भारत के हार्दिक सिंह ने स्पेन पर मैदानी गोलकर, अपनी अग्रता २-० कर ली थी। यह बात अवश्य थी कि दूसरे क्वार्टर मे स्पेन का आक्रमण बेहतर दिख रहा था। दूसरे क्वार्टर के समाप्त होते-होते, स्पेनी खिलाड़ी एक मैदानी गोल करते-करते रह गये थे। आकाशदीप को नियम के विरुद्ध खेलने के कारण निर्णायक ने ‘ग्रीन कार्ड’ दिखा दिया था।

तीसरा क्वार्टर शुरू हो चुका था। भारत को ‘पेनाल्टि स्ट्रोक’ मिल चुका था, जो भारत की अग्रता को ३-० पहुँचाने का सुस्पष्ट संकेत था; लेकिन भारतीय कप्तान हरमनप्रीत सिंह-द्वारा पेनाल्टि स्ट्रोक लेने और गेंद के गोल मे जाने के बाद भी ‘तकनीकी दोष’ के कारण भारत के पक्ष मे निर्णय नहीं किया गया था। तीसरे क्वार्टर मे भी भारतीय दल बढ़-चढ़कर दिख रहा था; लेकिन स्पेनी खिलाड़ियों का प्रदर्शन भी दूसरे क्वार्टर मे उनके प्रदर्शन से बेहतर दिख रहा था। इसके बाद भी भारतीय अग्र-पंक्ति के खिलाड़ियों की आक्रामक रणनीति के चलते, भारत को तीसरा पेनाल्टि कॉर्नर मिला, जो कि व्यर्थ रहा। इस क्वार्टर के समाप्त होने के १.५० सेकण्ड-पहले भारत को चौथा पेनाल्टि कॉर्नर मिला; पर वह भी बेकार साबित हुआ था।

तीसरे क्वार्टर तक भारत ने अपनी २-० की अग्रता बनाये रखी थी। इस प्रकार हॉकी विश्व कप-प्रतियोगिता मे भारतीय खिलाड़ियों-द्वारा किये गये अब तक के कुल गोलों की संख्या २०१ तक पहुँच चुकी है।

चौथा और अन्तिम क्वार्टर बेहद रोमांचक रहा। इस क्वार्टर के ५ मिनट भारत के पक्ष मे दिखते रहे; परन्तु उसके आगे के १० मिनट आशा-निराशा के झूले मे झूलते दिख रहे थे; क्योंकि आक्रामक भारतीय खिलाड़ी अभिषेक-द्वारा अनावश्यक और अवैध ‘टैकिल’ करने के कारण उन्हें ‘पीला कार्ड’ पूरे क्वार्टर के लिए दिखाया गया था और वे क्वार्टर-समाप्त होने के १० मिनट तक बाहर बैठे रहे। भारतीय दल नौ खिलाड़ियों के साथ खेलता रहा और राउरकेला के बिरसा मुण्डा अन्तरराष्ट्रीय हॉकी- स्टेडियम मे बैठे लगभग २० हज़ार दर्शकों और टी० ह्वी० पर देख रहे करोड़ों भारतीयों का दिल धड़क रहा था। स्पेनी खिलाड़ी दम-ख़म के साथ भारतीय खिलाड़ियों-द्वारा किये जा रहे प्रश्नो के जवाब बढ़-चढ़ कर देते दिख रहे थे। यही कारण था कि स्पेन को इस मैच के अन्तिम क्वार्टर मे पेनाल्टि कॉर्नर मिला था, जिसे प्रभावकारी गोलरक्षक कृष्ण पाठक ने शानदार पूर्वानुमान लगाकर, विफल कर दिया था। मैच-समाप्ति से २ मिनट ३७ सेकण्ड पहले स्पेनी दल को एक और पेनाल्टि कॉर्नर मिला, जो पेनाल्टि कॉर्नर करनेवाले खिलाड़ी की लापरवाही के चलते व्यर्थ रहा।

तेज़-तर्रार आक्रामक स्पेनी खिलाड़ी एलेजान्द्रो अलोंसो, अलवारो इग्लेसियस, बोर्जा लाकाले तथा एनरिक गोंजालेज का प्रदर्शन देखते ही बन रहा था।

इस पूरे प्रदर्शन मे भारत के गोलरक्षक कृष्ण पाठक का प्रदर्शन शानदार रहा, अन्यथा यह मैच बराबर रहता अथवा मैच मे स्पेन की ज़बरदस्त पकड़ दिखती रहती।
भारत के सफल खिलाड़ी अमित रोहिदास को ‘प्लेयर ऑव़ द मैच’ का पुरस्कार दिया गया था।

भारत का अगला मैच १५ जनवरी इसी स्टेडियम मे इंग्लैण्ड के साथ होगा। भारत लीग् का अन्तिम मैच १९ जनवरी को वेल्स के साथ भुवनेश्वर मे खेलेगा।

(सर्वाधिकार सुरक्षित― आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १३ जनवरी, २०२३ ईसवी।)