राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रेसवार्ता में उत्तर प्रदेश सरकार पर बोला हमला

बच्चों के लिए ₹ 8 लाख का वेंटीलेटर 22 लाख में खरीदा गया और तमाम चिकित्सीय उपकरणों में भारी भ्रष्टाचार और घोटाला किया गया

राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रेसवार्ता के दौरान प्रदेश सरकार पर भ्रष्टाचार को लेकर हमला बोलते हुए कहा कि बच्चों के लिए ₹8 लाख का वेंटीलेटर 22 लाख में खरीदा गया और तमाम चिकित्सीय उपकरणों में भारी भ्रष्टाचार और घोटाला किया गया।

चिकित्सीय उपकरणों की खरीद में हुए घोटाले की शिकायत हमारे प्रदेश के प्रवक्ता वैभव महेश्वरी जी और प्रबुद्ध प्रकोष्ठ के अध्यक्ष हरिशंकर पांडे जी ने लोकायुक्त से की थी।

आज लोकायुक्त नेउन्हीं भ्रष्टाचार के मामलों में एक नोटिस जारी करके चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव आलोक कुमार से 23 सितंबर तक जवाब मांगा है।

जल जीवन मिशन के भ्रष्टाचार को लेकर जो मैंने आरोप लगाए थे और कहा था कि यह NRHM से भी बड़ा घोटाला है उसमें आज और कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।

भारत सरकार की गाइडलाइन है, जिसमें कहा गया है कि SWSM एक रजिस्टर्ड संस्था होनी चाहिए।
इसी गाइडलाइन को देखते हुए हरियाणा के अंदर जो SWSM संस्था बनी उसका बकायदा पंजीकरण कराया गया है।

उत्तर प्रदेश की सरकार ने 2012 में स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है राज्य का जल एवं स्वच्छता मिशन ग्राम विकास विभाग उत्तर प्रदेश शासन के अधीन है पंजीकृत सोसायटी होगी।

जब RTI के जरिए पूछा गया कि SWSM राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन क्या एक पंजीकृत संस्था है तो 24 अगस्त 2021 को जवाब दिया गया की SWSM राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन कोई पंजीकरण संस्था नहीं है।

एक गैर पंजीकृत संस्था के नाम पर,केंद्र सरकार के गाइड लाइन का वायलेशन करते हुए, हजारों करोड़ के टेंडर हो जाता है, पेमेंट हो जाता है उत्तर प्रदेश में, ये हजारों करोड़ रुपए कहां गए?

ED और CBI को इन लोगों के खाते सीज करने चाहिए, गिरफ्तारी करके पूछताछ करनी चाहिए मंत्री से लेकर तमाम अधिकारियों से कि आखिर गैर पंजीकृत संस्था के नाम पर उन्होंने हजारों करोड़ के टेंडर और काम कैसे कराए?

जब उनको ऊपर से डांटा-फटकारा गया होगा कि मिलती-जुलती एक संस्था है, यानी राम के नाम पर रमेश जाकर चेक ले सकता है, यानी महेंद्र सिंह के नाम पर अनुराग श्रीवास्तव जाकर चेक ले सकते हैं।

जब इनके विभाग से पूछा गया कि SWSM है कि नहीं तो कह रहे हैं कि ऐसा बताना नियमों के विरुद्ध होगा। जैसे हमारे यहां सामाजिक व्यवस्था में कि पत्नियाँ अपने पति का नाम नहीं लेती, उसी प्रकार से उन्होंने जवाब दिया है कि हम नाम नहीं बता सकते की पंजीकृत है कि नहीं है।

एक गैर पंजीकृत SWSM संस्था के नाम से आप हजारों करोड़ रुपए का पेमेंट कर रहे हैं , टेंडर करा रहे हैं, मनमाने ढंग से काम कर रहे हैं। मैं माँग करता हूँ इन सब की गिरफ्तारी होनी चाहिए, पूछताछ होना चाहिए कि गैर संवैधानिक तरीके से नियमों को ताक पर रखकर कैसे काम किया गया।

18 अगस्त को महेंद्र सिंह जी के विभाग के कन्नौज के अधिशासी अभियंता निर्दोष कुमार जौहरी मुख्य अभियंता ग्रामीण को यह चिट्ठी लिख रहे हैं कि हैदराबाद की जो कंपनी है SMC इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड वह 30 से 40% अधिक दरों पर काम करा रही है और ऐसा करना वित्तीय अनियमितता है।

निर्दोष कुमार जौहरी चिट्ठी में आगे लिख रहे हैं कि एक आदेश हुआ था 9 जनवरी 2020 को जिसमें कहा गया था कि कोई भी अधिशासी अभियंता एक करोड़ से ज्यादा का एग्रीमेंट अनुबंध नहीं कर सकता और इसका हवाला देकर जब उन्होंने यह पूछा तो दो चिट्ठी जारी होती है।

एक चिट्ठी अखंड प्रताप सिंह की आती है कि जल जीवन मिशन के कार्यों में जिला पेयजल एवं स्वच्छता मिशन की ओर से अधिशासी अभियंता जल निगम स्वच्छता मिशन के सदस्य सचिव के रूप में त्रिपक्षीय हस्तक्षेप किए जाने के लिए कोई भी वित्तीय सीमा निर्धारित नहीं है।

अनुबंध के लिए सीमा निर्धारित हुई 9 जनवरी 2020 को और जब पत्र लिखकर पूछा गया तो अखंड प्रताप सिंह जी जो अधिशासी निदेशक हैं वह कह रहे हैं कि कोई वित्तीय सीमा नहीं है।

अगली चिट्ठी जारी होती है 21 अगस्त 2021 को अखंड प्रताप सिंह जी को राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन द्वारा प्रदेश में कराए जा रहे हैं पाइप पेयजल योजनाओं के संबंधित कार्यों हेतु प्राक्कलन समिति से जल निगम के प्रचलित दर का विश्लेषण करें और वह प्रचलित दर जारी करने का काम करें।

अब आप मुझे बताइए टेंडर पहले हो गया काम पहले बंट गया मेरे वह आरोप आज अक्षर से सही साबित हो रहे हैं की स्टीमेट बनाए बगैर टेंडर किया गया था।

हिंदुस्तान में किसी से भी पूछ कर बताइए मुझे क्या किसी काम का स्टीमेट बने बगैर, किसी काम का दर निर्धारित किए बगैर किसी योजना का टेंडर हो सकता है क्या?

जब टेंडर हो गया, काम एलॉट हो गया, अधिशासी अभियंताओं की चिट्ठी आने लगी तब इन्होंने तो नए रेट निर्धारित करके बताए।

जो 3- 4 साल से जल निगम में काम कर रहे हैं जिस दर पर उन्हें काम मिला है उसी दर पर कर रहे हैं और यह नियम भी है।
टेंडर एक रेट है जिस दर पर आपको काम मिलता है उसी दर पर आपको काम करना है, चाहे देर में करें या जल्दी करें।
मगर टेंडर के बाद यह चिट्ठी जारी करके इन्होंने अपने भ्रष्टाचार का खुलासा कर दिया है।

ये वास्तव में ₹2 का काम ₹5 में करा कर कह रहे हैं कि उसका दाम ₹5 कर दो ।

एक चिट्ठी है अधिशासी अभियंता AK श्रीवास्तव जी की जो कह रहे हैं कि हमें एक करोड़ का अनुबंध करने का अधिकार है मगर काम तो ज्यादा के हो रहे हैं, मुझे इस गाइडलाइन से मुक्ति दिलवाइये कि मैं कैसे साइन करूँ।

तीसरे अधिशासी अभियंता आकाश जैन की चिट्ठी है, जो कह रही है कि इस योजना में थोड़ा बहुत भ्रष्टाचार नहीं हुआ वह मेरी भी आंख खोल रहे हैं कि और कह रहा है मेरे द्वारा लगाए आरोप शायद कम है यह योजना तो घोटालों से बनी और घोटालों की भेंट चढ़ गई।