महादेवी समग्र संवेदना से युक्त थीं– डॉ० अशोक कुमार

‘साहित्यकार संसद्’, प्रयागराज के तत्त्वावधान में आज (११ सितम्बर) महीयसी महादेवी वर्मा की पुण्यतिथि के अवसर पर ‘महादेवी जी के साहित्य में संवेदना’-विषयक एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दीविभाग के पूर्व-अध्यक्ष डॉ० रामकिशोर शर्मा ने की थी। उपायुक्त– वाणिज्यकर-विभाग, झाँसी डॉ० अशोक कुमार पाण्डेय मुख्य अतिथि थे। भाषाविज्ञानी और समीक्षक आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने विशिष्ट अतिथि की भूमिका का निर्वहण किया था।

आरम्भ में मंचासीन उक्त अतिथिवृन्द ने दीप-प्रज्वलन किया तथा सरस्वती और महादेवी के चित्र पर माल्यार्पण किये थे। संगोष्ठी-संयोजक और संचालक प्रद्युम्ननाथ तिवारी ‘करुणेश’ ने शारदा-स्तवन किया था।

वैचारिक क्रम में विशिष्ट अतिथि आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने मत व्यक्त किया, “वास्तव में, महादेवी वर्मा संवेदना की प्रतिमूर्ति थीं। उन्होंने अपने काव्य में जड़-चेतन की घनीभूत पीड़ा की व्याप्ति को जिस रूप में व्यक्त किया है, वह अन्यत्र दुर्लभ है। यही कारण है कि पद्य और गद्य-विधाओं में उनकी व्यथा समष्टिमूलक लक्षित होती है।”

मुख्य अतिथि डॉ० अशोक कुमार पाण्डेय ने कहा, ”महादेवी जी के साहित्य में जीवन के किसी एक पक्ष की वेदना उद्घाटित नहीं होती। उन्होंने पशु-पक्षी, लता-पादप, मनुष्यादिक के कष्ट और दु:ख-दर्द-पीड़ा को अपनी वेदना बनाकर जिस रूप में प्रस्तुत किया है, वह उनके साहित्य में ‘संवेदना’ के रूप में दिखती है।”

संयोजक-संचालक प्रद्युम्ननाथ तिवारी ‘करुणेश’ ने बताया, “महादेवी जी विश्व की ऐसी महिला हैं, जिन्होंने पहली बार वेद में एम० ए० किया था। उन्होंने संवेदना के धरातल पर जिस वर्ज्य दीवार का वेधन किया था, वह स्तुत्य है।”

अध्यक्षीय विचार व्यक्त करते हुए डॉ० रामकिशोर शर्मा ने कहा, महादेवी ने महिला-मुक्ति के लिए आचरण और व्यवहार के स्तर पर अपनी जिस संवेदना का परिचय दिया है, वह श्लाघ्य है।”

दूसरे सत्र में कविसम्मेलन आयोजित हुआ था, जिसमें ‘साहित्यकार-संसद्’ के सचिव प्रद्युम्ननाथ तिवारी ‘करुणेश’ ने महादेवी वर्मा पर केन्द्रित रचनाओं का पाठ किया। तलब जौनपुरी, जटाशंकर प्रियदर्शी, केशव सक्सेना, मृत्युंजय द्विवेदी, रमेश आदि ने काव्यपाठ किये थे। संयोजक ने आभारज्ञापन किया था।