एगो भोजपुरी हो जाऊ

आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

केने से तू अइलू,
केने से तू गइलू।
अदतिया न छूटलि,
घींच-घाँच के खइलू।
सोगहग भा खाँड़ी-चुकी,
मिलल जौन पइलू।
नीमन भा बाउर,
अपना मन के कइलू।
पहले रहलू करियठ,
चीकन अब कहइलू।
तुहूँ ए लोकवा में,
अपना लेखा भइलू।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय; ३ अक्तूबर, २०२२ ईसवी।)