हाँ ! तुम जरूर आओगी

साहित्य क्षेत्र में अपनी साहित्य विधा के जरिये हर रंग का जादू बिखेरने वाले वरिष्ट कवि कवि /संपादक यूँ तो जन -जन में लोकप्रिय है उतनी ही उनकी साहित्यिक कर्म में रूचि अम्बर को छू रही है । स्वयं को बड़ा कभी न महसूस समझने वाले पंकज त्रिवेदी का सहयोग की भावना का एक नया रूप और मंशा काव्य संग्रह “हाँ! तुम जरूर आओगी ” में स्पष्ट झलकता है । काव्य संग्रह के शीर्षक से ही हमें इस बात का पता चलता है कि -“हाँ ! तुम जरूर आओगी “सच मुच आपने अपने विद्वान् पिता श्री अमृत त्रिवेदी का नाम तो रोशन किया ही है साथ हीगुजरात के अलावा अन्य प्रदेशों में भी अपनी पहचान के झंडे गाड़े है । सुप्रभात – “पारिजात का पुष्प आकर टपका /जैसे कह रहा हो/बनो मेरी तरह /सुन्दर धवल निर्मल पवित्र हमेशा /दिल में अँगारे को भी बनाओ /तुम अपनी सुंदरता का पर्याय /सुप्रभात ” में आप के स्वर कानों में मिश्री घोलते वही काव्य रसिकों को शब्दों के चुम्बकीय आकर्षणता में बांध कर एक नई उर्जा का संचार कर देते है । इस कला की जितनी भी प्रशंसा की जाये उतनी कम होगी।
कितना सूनापन फैला हुआ है यहाँ /तुम्हारे न होने से लगता है जैसे /पानी का बहाव ही ठहर गया है /और उदास पानी ,रुकी हुई हवा भी /इंतजार कर रही है तुम्हारे आने का /जो जोश भर दे मेरी कविताओं में ” वाकई ये इंतजार के भावो को विरहता के माध्यम से मन को छू जाती है । और यही कवि की श्रेष्ठता को और भी दिशा देता है ।जन जन में लोकप्रिय वरिष्ट कवि पंकज त्रिवेदी का नाम ही काफी है । लोगो से उन्हें असीम प्यार मिला है और यही बात काव्य संग्रह में भी दिखलाई पड़ती है -प्यार करने का हक़ यूँ तो है सभी को /मगर प्यार बोलता है महफ़िलों के दरमियाँ /गूँगा सा प्यार आज भी झोपडी में /मगर दिए की बाती से जलता है पतंगा “से प्यार का सन्देश दिया है ,प्रेम की कशिश को काव्य सग्रह में बेहतर तरीके से ढाला है । पंकज त्रिवेदी की हर कविता दमदार है और दिल को छू जाने वाली है यकीं न होतो इन पंक्तिओं पर तनिक गोर फरमाए -“तुम जानती हो/मुझे प्यार जताना नहीं आता कभी /मगर छोटी सी बात पर आँखे नाम होती है ” व मुझे मालूम है – न समय तय है और न तिथि /बस- एक उम्मीद बाँध बैठा हूँ /जो दूर -दूर तक एक दिए की तरह /टिमटिमाती हुई नजर आती है मुझे /मै उम्मीद पर अब भी कायम हूँ /हाँ ,तुम जरूर आओगी /इसी दहलीज पे… जरूर आओगी /हाँ ,तुम जरूर आओगी ” काव्य संग्रह १००% दिलों में जगह बनाएगा इसमें कोई शक नहीं है। हमारी यही शुभकामनाये है ।

कवि -पंकज त्रिवेदी
काव्य संग्रह -हाँ! तुम जरूर आओगी

प्रकाशक -अंजुमन प्रकाशन
९४२ ,आर्य कन्या चौराहा
मुठ्ठी गंज इलाहबाद -211003 यु पी
मूल्य – 120 -रूपये

समीक्षक -संजय वर्मा “दृष्टि “
125 शहीद भगत सिंग मार्ग
मनावर जिला -धार (म प्र )