आत्महत्या

आकांक्षा मिश्रा-

आकांक्षा मिश्रा-

जब अखबारों में पढ़ती हूँ उसने किसी के तंग करने पर आत्महत्या कर लिया । या जातिवाद के नाम पर उसने ऐसा कर लिया । एक सन्नाटा सा आ जाता है । फिर कई सवाल उठते है कितना कठोर कदम और साहसिक कदम इंसान उठा लेता उसे अपनी आवाज अपने शरीर , अपनी आत्मा से आत्मीय लगाव नही होता है ।

लगाव का पहला परिचय हमारे शरीर मे हृदय से होता है । फिर क्यों उलझते है दुनिया के किस्सों में ऐसी बातो में जब हमारे भीतर कठिन से कठिन समय को बदलने की क्षमता मौजूद होती है । लाचार नही न उम्मीद की सिफारिश इस ताकत से हकीकत का सामना करने की जिद हो । आप खुद से खुद का रिश्ता निभाइए खूबसूरत रिश्ता । इंसान के रूप इस संसार मे जन्म लेना एक खूबसूरत जीवन है । अद्भुत क्षमता के साथ कुछ कर गुजरने की चाह लिए हुए जीते है । संसार सुंदर है संजीव है गति हमेशा प्रवाहमयी है । जीवन को सहज और सरल बनाकर चलना इंसान की सहजता है ।जीवन मृत्यु से बढ़कर है ।आत्महत्या किसी समस्या का निवारण नही है । हमे अपनी इच्छाओं और मजबूत इरादो के साथ गतिमान रहना होगा एक सुंदर जीवन के लिए ।